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ककोलत के पास झरने में डूबने से 17 वर्षीय किशोर की दर्दनाक मौत

दोस्तों ने वनकर्मियों पर लगाया लापरवाही का आरोप

ककोलत के पास झरने में डूबने से 17 वर्षीय किशोर की दर्दनाक मौत, दोस्तों ने वनकर्मियों पर लगाया लापरवाही का आरोप

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—15 साल पहले ही पिता का हुआ था निधन

गया जिले के मटिहानी गांव निवासी 17 वर्षीय प्रिंस कुमार की रविवार को अम्झर झरने के कुंड में डूबने से मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब प्रिंस अपने 12 दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने ककोलत जलप्रपात गया था। अत्यधिक भीड़ होने के कारण सभी दोस्त ककोलत से लगभग ढाई से तीन किलोमीटर दूर अम्झर जलप्रपात चले गए, जहां यह दुखद घटना घटी।

प्रिंस कुमार के पिता, स्वर्गीय संतोष चौधरी का निधन 15 वर्ष पूर्व ही हो चुका था। परिवार की जिम्मेदारी उसकी माता माला देवी के कंधों पर थी। अब बेटे की असमय मौत ने इस परिवार को पूरी तरह तोड़ कर रख दिया है।

तैरना नहीं जानता था प्रिंस, गहरे पानी में डूबा

घटना के समय प्रिंस के सभी दोस्त झरने के पास नीचे खाना बना रहे थे। इसी बीच वह अकेले ही स्नान के लिए झरने के कुंड में चला गया। दोस्तों के मुताबिक प्रिंस को तैरना नहीं आता था। कुंड की गहराई अधिक होने की वजह से वह पानी में डूबने लगा और कुछ ही पलों में दिखाई देना बंद हो गया।

मदद की गुहार, लेकिन वनकर्मियों ने नहीं किया सहयोग—दोस्तों का आरोप

जैसे ही दोस्तों को घटना की जानकारी मिली, वे मदद के लिए ककोलत के मुख्य द्वार पर तैनात वनकर्मियों के पास भागे। लेकिन दोस्तों का आरोप है कि वनकर्मियों ने उनकी गुहार को अनसुना कर दिया और उन्हें एक-दूसरे के पास भेजकर टालते रहे। किसी ने तत्काल राहत कार्य शुरू नहीं किया।

कंधे पर ढोकर लाए शव, रास्ते में हुई मौत

जब किसी प्रकार की मदद नहीं मिली, तो प्रिंस के दोस्तों—प्रद्युम्न कुमार (पिता अनिल प्रसाद), विकास कुमार (पिता संजय मिस्त्री), दीपू कुमार (पिता उमाशंकर प्रसाद) सहित अन्य ने मिलकर प्रिंस को कुंड से बाहर निकाला। कंधों पर उठाकर घने जंगल से होते हुए वे उसे ककोलत मार्ग तक लाए और वहां से ई-रिक्शा की मदद से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गोविंदपुर ले जाने लगे।

अव्यवस्थित पार्किंग बनी मौत का कारण, एंबुलेंस को लगा समय

मृतक के दोस्तों ने बताया कि सड़क किनारे अव्यवस्थित ढंग से खड़े वाहनों के कारण एंबुलेंस या अन्य सहायता समय पर नहीं पहुंच सकी। डायल 112 की टीम को भी रास्ता साफ करने में समय लगा। इसी देरी के कारण रास्ते में ही प्रिंस की मौत हो गई।

चिकित्सा केंद्र में डॉक्टर ने किया मृत घोषित, गांव में पसरा मातम

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोविंदपुर में जब प्रिंस को लाया गया, तो चिकित्सा प्रभारी डॉ. कुमार गौरव ने उसे मृत घोषित कर दिया। खबर मिलते ही गांव में मातम छा गया। मां माला देवी पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है—पहले पति को खोया, अब इकलौते बेटे को भी।

परिजनों और ग्रामीणों ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग

परिजन और साथ रहे दोस्तों ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते वनकर्मी मदद करते और प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त होती, तो प्रिंस की जान बचाई जा सकती थी।

यह हादसा केवल एक किशोर की मौत नहीं, बल्कि एक कमजोर व्यवस्था की भयावह तस्वीर है। प्रशासन और संबंधित विभागों को इस पर गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे दोबारा न हों।

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