
विंढमगंज सोनभद्र(राकेश कुमार कन्नौजिया)_भारतीय इंटरमीडिएट कॉलेज के खेल मैदान में शुक्रवार दोपहर करीब 2 बजे आदिवासी समाज का जनसैलाब उमड़ पड़ा, जब आदिवासियों के महानायक धरती आबा बिरसा मुंडा की जयंती बड़े ही उत्साह, भव्यता और पारंपरिक धूमधाम के साथ मनाई गई। हलवाई चौक, सुभाष तिराहा, मुडिसेमर तिराहा, सीता मोड़ सलैयाडिह होते हुए रांची–रीवा मार्ग पर निकाली गई विशाल शोभायात्रा ने पूरे क्षेत्र में उत्सव का माहौल बना दिया। जुलूस की गूंज—ढोल, मांदर और जयकारों से—चारों ओर गुंजायमान रही।
खेल मैदान पहुंचकर कार्यक्रम की शुरुआत बिरसा मुंडा के चित्र पर दीप प्रज्वलन कर ग्राम प्रधान तारा देवी, मीरा सिंह गोंड, ओमप्रकाश रावत, संजय गोंड और विजय गोंड ने संयुक्त रूप से की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संतोष सिंह गोंड एडवोकेट ने कहा कि बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को उलीहातू गांव में हुआ था। कम उम्र में ही उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ ‘मुंडा विद्रोह’ का नेतृत्व किया, जो आदिवासी समाज के जल, जंगल और जमीन पर अधिकारों की सबसे बड़ी लड़ाई थी। “अबुआ दिसुम, अबुआ राज”—हमारी जमीन पर हमारा राज—का नारा देकर उन्होंने आदिवासी समाज में नई चेतना जागृत की। वर्ष 1900 में उनकी गिरफ्तारी के बाद रांची जेल में उनकी शहादत इतिहास के स्वर्णाक्षरों में दर्ज है।
वहीं ओमप्रकाश रावत ने कहा कि धार्मिक-सामाजिक सुधारों, ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रतिरोध और बिरसाइत आंदोलन के कारण बिरसा मुंडा को ‘धरती आबा’ जैसा सम्मान मिला। उनकी जीवन गाथा आदिवासी अस्मिता और वीरता का प्रतीक है।
इस दौरान क्षेत्र से आए आदिवासी कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य एवं गीतों की धूम मचा दी। मांदर की थाप और नृत्य की लय ने पूरे मैदान को सांस्कृतिक रंगों से सराबोर कर दिया। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साह बढ़ाया।
कार्यक्रम में हीरालाल मरपची, विजय सिंह गोंड, सुखदेव सिंह पोया, मुन्नालाल गौतम, सुरेंद्र पासवान, जयमंगल उरैती, राजेश रावत, कार्तिक यादव, अभिषेक, अनिल कुमार, राजमती देवी, फौजदार सिंह, शिवकुमार आयाम, सुभाष भारती, अमरेश भारती, निरंजन कुमार रावत सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।







