उत्तर प्रदेशसिद्धार्थनगर 

सिद्धार्थनगर में विकास कार्य ठप, विधायक विनय वर्मा ने पीडब्ल्यूडी अफसरों पर साधा निशाना

विधायक ने विभागीय लापरवाही पर उठाए सात अहम सवाल, सिर्फ एक पर हुई कार्रवाई सड़कों की दयनीय हालत पर नाराजगी, कहा – “विकास की गाड़ी कागजों में फंसी है” क्षेत्रीय विकास और जवाबदेही पर बड़ा सवाल, छह मुद्दे अब भी लंबित

सिद्धार्थनगर (शोहरतगढ़)।

अपना दल (एस) के विधायक विनय वर्मा ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अफसरों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाते हुए बस्ती मंडल के मुख्य अभियंता को पत्र लिखा है। विधायक ने आरोप लगाया है कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से क्षेत्र के विकास कार्य ठप पड़े हैं।

 

वर्मा ने कहा कि शोहरतगढ़ क्षेत्र की सड़कों की हालत बेहद खराब है, निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल हैं और मॉनिटरिंग का कोई असर नहीं दिख रहा। उन्होंने पत्र में लिखा कि प्रांतीय खंड के सहायक अभियंता की कार्यशैली “बेहद असंतोषजनक” है, इसलिए उनका तत्काल स्थानांतरण आवश्यक है।

 

 

 

🔹 विधायक की सात प्रमुख मांगें

 

1️⃣ वर्ष 2025-26 में स्वीकृत व लंबित निर्माण प्रस्तावों की सूची उपलब्ध कराई जाए।

2️⃣ ओपन बाईपास, पलटा देवी मार्ग और भिरण्डा रोड के एस्टीमेट की स्थिति स्पष्ट की जाए।

3️⃣ शोहरतगढ़ गैंगहट और तहसील क्षेत्र के पास गेस्ट हाउस का निर्माण कराया जाए।

4️⃣ चिल्हिया–परौवा–बर्डपुर मार्ग की मरम्मत कराई जाए।

5️⃣ एनएच-730 बाईपास सड़क की मरम्मत सुनिश्चित की जाए।

6️⃣ चोड़ार ग्राम के पास पोखरी किनारे कट रही सड़क पर रिटेनिंग वॉल बनाई जाए।

7️⃣ सहायक अभियंता का तत्काल स्थानांतरण किया जाए।

 

 

 

⚠️ सिर्फ एक बिंदु पर कार्रवाई, बाकी फाइलों में दबे

 

पत्र भेजे जाने के बाद केवल सहायक अभियंता के स्थानांतरण पर कार्रवाई हुई है।

बाकी छह बिंदु अब भी विभागीय फाइलों में दबे हुए हैं।

न तो मरम्मत शुरू हुई, न नए प्रस्तावों पर प्रगति।

स्थानीय लोगों ने बताया कि सर्वे तो हुए, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं दिखा।

 

 

 

💬 “जनता की आवाज़ दबाना गलत” — विनय वर्मा

 

विधायक वर्मा ने कहा,

 

> “मेरा उद्देश्य किसी अधिकारी को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि जनता की समस्या को उठाना है। अगर अधिकारी समय पर काम करें, तो जनता को राहत मिलेगी।”

 

 

 

 

 

🏛️ अफसरशाही पर उठे सवाल

 

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, यह मामला अफसरशाही के बढ़ते प्रभाव और सिस्टम की सुस्ती को उजागर करता है। जनता की निगाहें अब मुख्य अभियंता की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

 

 

 

📌 निष्कर्ष

 

विनय वर्मा का यह पत्र सिर्फ शिकायत नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही की परीक्षा है। अब देखना यह है कि विभाग सुधार की दिशा में कदम उठाता है या

मामला एक बार फिर पुराने ढर्रे पर चला जाता है।

 

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