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स्टेशन बोर्ड पर लिखे इन तीन शब्दों का मतलब जानें

भारत में रेल सफर आम आदमी की जीवनरेखा है। सुबह की पहली ट्रेन से लेकर रात की आखिरी सीटी तक, हर दिन करोड़ों लोग पटरियों पर अपनी उम्मीदें रखकर सफर करते हैं। लेकिन इसी सफर में, स्टेशन के बोर्ड पर लिखे कुछ शब्द अक्सर यात्रियों को सोच में डाल देते हैं, जंक्शन, सेंट्रल, टर्मिनल…आखिर इन नामों का मतलब क्या है? हर स्टेशन के नाम के साथ इन्हें क्यों जोड़ा जाता है? रेलवे सूत्रों के मुताबिक, स्टेशन के नाम के साथ जुड़े ये शब्द
उसकी परिचालन भूमिका और नेटवर्क में अहमियत बताते हैं। यानी स्टेशन सिर्फ जगह नहीं, एक जिम्मेदारी भी होता है।रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इन शब्दों का उद्देश्य यात्रियों को स्टेशन की स्थिति, उसकी भूमिका और महत्व की साफ जानकारी देना है, ताकि सफर के दौरान कोई उलझन न हो, कोई भ्रम न रहे।

‘जंक्शन’—जहां रास्ते मिलते हैं
जंक्शन स्टेशन वह होता है, जहां दो या उससे अधिक रेलवे लाइनें आपस में मिलती हैं। ऐसे स्टेशनों से ट्रेनों के कई रूट निकलते हैं। यात्री एक ही स्टेशन से अलग-अलग दिशाओं में सफर कर सकते हैं। रांची जंक्शन, धनबाद जंक्शन, मथुरा जंक्शन, प्रयागराज जंक्शन, वाराणसी जंक्शन, रेलवे व्यवस्था के ऐसे ही बड़े केंद्र हैं, जहां हर समय आवाजाही बनी रहती है।

‘सेंट्रल’—शहर का दिल
सेंट्रल स्टेशन किसी शहर का सबसे प्रमुख और व्यस्त स्टेशन होता है। आमतौर पर यही स्टेशन शहर का सबसे पुराना और प्रशासनिक रूप से महत्वपूर्ण केंद्र होता है। लंबी दूरी और प्रमुख ट्रेनों का संचालन यहीं से होता है। मुंबई सेंट्रल और कानपुर सेंट्रल इस श्रेणी के सबसे चर्चित उदाहरण हैं।

‘टर्मिनल’—जहां सफर थमता है
टर्मिनल स्टेशन वह होता है, जहां किसी ट्रेन की यात्रा शुरू होती है या समाप्त। इन स्टेशनों के आगे रेलवे ट्रैक नहीं होता, ट्रेन वहीं आकर अपनी रफ्तार थाम लेती है। यहां सफर खत्म भी होता है और नई यात्रा की शुरुआत भी।

कानपुर सेंट्रल

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