
गोविंदपुर:- प्रखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल ककोलत जलप्रपात में रविवार को हजारों की संख्या में सैलानियों की भीड़
उमड़ पड़ी. भीड़ इतनी अधिक थी कि लोगों को चलने तक के लिए समुचित जगह नहीं मिल रही थी. सुबह से ही सैलानियों का आना शुरू हो गया था और दोपहर तक पूरे परिसर में भारी चहल-पहल देखी गई. पार्किंग स्थल पर छोटे और बड़े वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे यातायात को नियंत्रित करने में प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी. भारी भीड़ को देखते हुए वन विभाग के कर्मियों द्वारा सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे. माइक के माध्यम से लगातार अनाउंसमेंट किया जा रहा था कि सैलानी पहाड़ की चोटी पर न चढ़ें, जलप्रपात में स्नान करते समय साबुन या शैंपू का उपयोग न करें, और अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें. वनकर्मियों की तैनाती से भीड़ को संयमित रखने में मदद मिली. कटिहार से आए अरविंद कुमार, सहरसा से मनोज पंडित और गया से आलोक राज सहित कई सैलानियों ने बताया कि इस भीषण गर्मी में ककोलत जलप्रपात में स्नान करके उन्हें अत्यंत राहत और आनंद की अनुभूति हुई. सैलानियों ने कहा कि यह स्थान सच में बिहार का कश्मीर है. उन्होंने बताया कि पहले की अपेक्षा अब ककोलत को बहुत ही सौंदर्यपूर्ण ढंग से विकसित किया गया है. यहां अब शौचालय, चेंजिंग रूम, स्टॉल, पार्किंग, सेल्फी प्वाइंट आदि जैसी कई सुविधाएं उपलब्ध हैं. कुछ सैलानियों ने सुझाव दिया कि यदि ककोलत में रोपवे की सुविधा जोड़ दी जाए तो विशेष रूप से बुजुर्गों और छोटे बच्चों को नीचे से झरने तक पहुंचने में और भी आसानी होगी. उन्होंने कहा कि यह पहल न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देगी बल्कि ककोलत की पहचान को भी एक नया आयाम देगी. ककोलत परिसर में डस्टबिन की व्यवस्था तो की गई है, लेकिन कुछ सैलानियों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है. कई लोग पानी की खाली बोतलें, प्लेट, लस्सी के डब्बे, कुरकुरे के रेपर और अन्य कचरे को डस्टबिन में डालने की बजाय परिसर में ही फेंक दे रहे हैं. इससे स्वच्छता अभियान को नुकसान पहुंच रहा है. वन विभाग और स्थानीय प्रशासन समय-समय पर सफाई की अपील करता है, लेकिन पर्यटकों की भागीदारी बेहद जरूरी है. गौरतलब हो की सैलानी ककोलत जलप्रपात की स्वच्छता और सुंदरता को बनाए रखने में सहयोग करें. यह जगह केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि नवादा की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर भी है.











