
कोटा। एसीजेएम क्रम 7 की न्यायालय में एक ऐसा फैसला आया जिसने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। न्यायालय ने पत्रकार रवि सामरिया को तत्काल राहत देते हुए पुलिस की कहानी को सिरे से खारिज कर दिया और थाना महावीर नगर पुलिस को कड़ा फटकारते हुए कहा कि इस पूरे प्रकरण में जांच ही गलत दिशा में की गई। फैसले ने पूरे मीडिया जगत में एक सकारात्मक संदेश दिया है कि सच चाहे जितना दबा दिया जाए, जीतेगा वही। पत्रकार के खिलाफ प्रमोशन के नाम पर बदनाम करने का षड्यंत्र रचने के खिलाफ कोर्ट कठोर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है
अधिवक्ता अतीश सक्सेना ने बताया रवि सामरिया 38 वर्ष पुत्र हनुमान प्रसाद निवासी शिवपुरा कोटा निवासी पेशे से स्वतंत्र पत्रकार हैं। वह हिप ज्वाइंट एवीएन की गंभीर बीमारी से लंबे समय से पीड़ित हैं, जिनका उपचार शहर के रंगबाड़ी स्थित एबिएंस केरला आयुर्वेदिक हॉस्पिटल द्वारा किया गया था, जहाँ उनसे इलाज के नाम पर लगभग 5 लाख रुपए लिए गए। इलाज गलत होने का
असर इतना भारी पड़ा कि वर्तमान में उन्हें जटिल ऑपरेशन की आवश्यकता है। जब सामरिया ने उपचार में हुई लापरवाही और अवैध वसूली पर आपत्ति जताई और राशि वापस मांगी तो
हॉस्पिटल की संचालिका दीपा सुबिन ने उनके खिलाफ थाना महावीर नगर में झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया। इसी मामले में आयुर्वेद विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. मोहन लाल वर्मा पर भी एफआईआर दर्ज है और वह फिलहाल फरार बताए जाते हैं। केरला हॉस्पिटल संचालिका दीपा सुबिन के खिलाफ पूर्व से ही दर्जनों अपराधिक मामले धोखाधड़ी और आर्थिक ठगी के विभिन्न न्यायालयों में लंबित है। न्यायालय में जब मामला सामने आया तो पता चला कि पुलिस ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया, प्रारंभिक जांच में सच्चाई छिपाई गई, और जांच के नाम पर रवि सामरिया को थाने बुलाकर 24 घंटे बैठाकर डराया धमकाया गया, समझौते का दबाव बनाया गया तथा दुष्प्रचार के लिए भ्रामक प्रेस नोट जारी किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता नरेंद्र डाबी ने कहा कि पुलिस का आचरण पूरी तरह से एकपक्षीय और अवैधानिक रहा, जिसका न्यायालय ने कड़ा विरोध किया है। एसीजेएम क्रम 7 न्यायालय ने पुलिस द्वारा प्रस्तुत सभी आधारहीन तथ्यों को ठुकराते पाए जांच अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई कहा कि रवि सामरिया के खिलाफ लगाए गए आरोप न केवल अवैध हैं बल्कि उद्देश्यपूर्ण तरीके से बनाए गए प्रतीत होते हैं। न्यायालय ने रवि सामरिया को निर्दोष मानते हुए राहत प्रदान की, जिसे सभी पत्रकारों द्वारा संविधान दिवस पर सत्य की जीत के तौर पर देखा जा रहा है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता नरेंद्र डावी ने बताया कि रवि सामरिया के विरुद्ध शिकायत की प्रारंभिक जांच में पुलिस ने वास्तविक तथ्यों को छिपाते हुए एफआईआर दर्ज की फिर जांच के नाम पर दबाव बनाकर थाने बुलाया वहां प्रताड़ित किया और थाने में 24 घंटे बैठाकर पुलिसकर्मियों ने डराया धमकाया और शिकायत में समझौते का दवाब बनाया दुर्व्यवहार किया अपशब्द भी कहे। एक भ्रामक प्रेस नोट जारी करके रवि सामरिया का सार्वजनिक रुप से दुष्प्रचार किया गया है।






