

गाजियाबाद। महिला पुलिस की कारस्तानी पर अदालत सख्त — थानेदार से मांगा CCTV फुटेज, एनकाउंटर पर उठे गंभीर सवाल
गाजियाबाद।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक कथित पुलिस एनकाउंटर ने अब कानूनी मोड़ ले लिया है। महिला पुलिस द्वारा किए गए इस एनकाउंटर पर अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए थानेदार से थाने का CCTV फुटेज तलब किया है। मामला 26 और 27 अक्तूबर की रात का है, जब पुलिस ने चार युवकों — इरफान, शादाब, अमन और नाजिम — को लूट के आरोप में पकड़े जाने का दावा किया था। पुलिस का कहना था कि ये चारों ऑटो में यात्रियों को बैठाकर उनसे लूटपाट किया करते थे।
लेकिन जब आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, तो कहानी का रुख पूरी तरह बदल गया। आरोपियों ने कोर्ट में बताया कि पुलिस ने उन्हें थाने से सीधा जंगल में ले जाकर गोली मारी, और फिर एनकाउंटर का नाटक रचा। आरोपियों ने दावा किया कि यह पूरी घटना पूर्व-नियोजित फर्जी मुठभेड़ थी।
इस बयान के बाद अदालत ने पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए और महिला थानेदार के खिलाफ प्रकीर्ण वाद (Miscellaneous Case) दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) की निगरानी में एक मेडिकल बोर्ड गठित कर चारों युवकों का मेडिकल परीक्षण कराया जाए, और उनके शरीर पर चोटों के निशान गिने जाएँ, ताकि एनकाउंटर की सच्चाई सामने आ सके।
कोर्ट ने थानेदार से थाने का CCTV फुटेज भी प्रस्तुत करने को कहा, लेकिन बताया जा रहा है कि थानेदार लगातार बहानेबाज़ी कर रही हैं और फुटेज उपलब्ध नहीं करवा रही हैं। इस रवैये ने अदालत की शंका और बढ़ा दी है।
गौरतलब है कि यह एनकाउंटर उस समय हुआ था जब राज्य सरकार “मिशन शक्ति” अभियान चला रही थी — जिसमें महिलाओं की सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण पर ज़ोर दिया जा रहा था। इसी दौरान महिला पुलिस द्वारा किया गया यह एनकाउंटर अब सरकार की “मिशन शक्ति” नीति पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आरोपियों के बयान और मेडिकल रिपोर्ट में समानता पाई जाती है, तो यह मामला फर्जी एनकाउंटर और मानवाधिकार उल्लंघन के तहत गंभीर कार्रवाई का रूप ले सकता है।
फिलहाल अदालत के आदेश पर मामले की जांच जारी है और महिला पुलिस की भूमिका पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
✍️ ब्यूरो रिपोर्ट
एलिक सिंह
संपादक — वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़
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