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जैसे सांप केंचुली बदल ले पर उसकी प्रकृति नहीं बदलती, वैसे ही कपटी व्यक्ति अपने छल-कपट को नहीं छोड़ता : पंडित नागर

धार जिला ब्युरो गोपाल मारु की रिपोर्ट

धार ।बदनावर तहसील के ग्राम तिलगारा में मंगलवार से मालवा माटी के प्रसिद्ध कथावाचक पंडित कमल किशोरजी नागर के मुखारविंद से संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। कथा के प्रथम दिवस की शुरुआत गांव में उल्लास और भक्ति के माहौल के बीच भव्य कलश यात्रा के साथ हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
सुबह गांव के खेड़ापति हनुमान मंदिर से निकली कलश यात्रा के प्रमुख मार्गों से होती हुई तिलगारा–संदला मार्ग स्थित कथा स्थल पर पहुंचकर संपन्न हुई। यात्रा में बैण्ड-बाजों और ढोल-ढमाकों की गूंज के बीच श्रद्धालु भक्ति-रस में झूमते दिखाई दिए। गांववासियों ने विभिन्न स्थानों पर पुष्पवर्षा कर कलश यात्रा का स्वागत किया।
दोपहर लगभग एक बजे पंडित नागर ने कथा का शुभारंभ करते हुए श्रीमद् भागवत के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “भगवान की भक्ति के बिना मुक्ति संभव नहीं है और मुक्ति माधव से ही मिलती है।” प्रवचन के दौरान पंडित नागर ने जीवन मूल्यों पर सारगर्भित उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे सांप केंचुली बदल ले पर उसकी प्रकृति नहीं बदलती, वैसे ही कपटी व्यक्ति अपने छल-कपट को नहीं छोड़ता।
उन्होंने कर्म के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि “फल हमेशा बीज से बड़ा होता है, इसलिए कर्म से बड़ा कोई नहीं। अच्छे कार्य ही श्रेष्ठ परिणाम देते हैं।” पंडित नागर ने यह भी स्पष्ट किया कि पाप से अर्जित धन कभी सुख नहीं दे सकता। “पारस का सोना मिलना जितना कठिन है, उतना ही पाप के धन से सुख मिलना असंभव है।”कथा के दौरान नागर जी द्वारा गया भजनों वातावरण को भक्ति रस से भर दिया। भजनों पर श्रद्धालु भी झूमते नजर आए। कथा के पहले दिन हजारों की संख्या में आसपास के गांवों तथा अन्य शहरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। कथा प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से प्रारंभ होगी और यह आयोजन आगामी 8 दिसंबर तक जारी रहेगा

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