
महुली/विंढमगंज, सोनभद्र (राकेश कुमार कन्नौजिया)_
रामलीला मंचन के दूसरे दिन रविवार की रात रामजन्म लीला का भव्य मंचन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत रामायण की आरती से हुई। इसके उपरांत मां दुर्गा द्वारा महिषासुर वध की झांकी प्रस्तुत की गई, जिसने उपस्थित दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
इसके बाद व्यास दिलीप कुमार कन्नौजिया के मधुर स्वर में जब रामचरितमानस की चौपाई “बाढ़े खल बहु चोर जुआरा…” गूंजी, तो पूरा पंडाल गूंज उठा। दर्शकों ने “जय श्रीराम” के जयकारों से वातावरण को राममय बना दिया।
राम जन्म कथा का जीवंत मंचन
कथा की शुरुआत अयोध्या नरेश दशरथ के दरबार से हुई। पुत्रहीन होने की पीड़ा से व्याकुल महाराज दशरथ ने गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। यज्ञ पूर्ण होने पर अग्निकुंड से दिव्य खीर प्राप्त हुई, जिसे महाराज ने अपनी रानियों कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा को प्रसाद स्वरूप वितरित किया।
समय बीतने पर रानी कौशल्या ने श्रीराम को, कैकेयी ने भरत को तथा सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। जैसे ही मंच पर चारों राजकुमारों का अवतरण दिखाया गया, पूरा मैदान गगनभेदी नारों से गूंज उठा। महिलाओं ने मंगलगीत गाकर वातावरण को और भी दिव्य बना दिया।
भीड़ का उत्साह
रामजन्म की इस अलौकिक लीला को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। पंडाल खचाखच भरा रहा और दर्शकों ने खड़े होकर भी पूरी श्रद्धा से मंचन का आनंद लिया। तालियों और जयकारों ने कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो अयोध्या नगरी स्वयं महुली के रामलीला पंडाल में अवतरित हो गई हो।
गुरुकुल गमन का दृश्य
रामजन्म के उपरांत लीला का समापन उस अद्भुत प्रसंग से हुआ, जब भगवान राम अपने तीनों भाइयों भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के साथ गुरु वशिष्ठ के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रस्थान करते हैं। इस दृश्य ने दर्शकों को आदर्श जीवन मूल्यों और गुरु-शिष्य परंपरा की याद दिलाई।
अगली लीला की घोषणा
रामलीला मंडली के व्यास दिलीप कुमार कन्नौजिया ने बताया कि सोमवार 22 सितंबर की रात ताड़का वध लीला का मंचन किया जाएगा। इस घोषणा के साथ ही दर्शकों में अगले दिन की लीला देखने को लेकर उत्सुकता और उत्साह और भी बढ़ गया।





