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स्थानीय निकाय चुनावों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज; कोर्ट के फैसले पर राज्य की नजर

समीर वानखेड़े चंद्रपुर महाराष्ट्र:
सुप्रीम कोर्ट आज फिर उस आपत्ति पर सुनवाई करेगा जिसमें कहा गया है कि राज्य में स्थानीय निकायों के चुनावों में 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा पार कर ली गई है। पूरे राज्य की नज़र इस पर है और यह जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों का भविष्य तय करेगा। राज्य में इस समय 246 नगर पालिकाओं और 42 नगर पंचायतों के चुनाव चल रहे हैं। मंगलवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की 247 नगर पालिकाओं और 42 नगर पंचायतों समेत 288 स्थानीय निकायों में हो रहे चुनावों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में माना है कि राज्य की 40 नगर परिषदों और 17 नगर पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा पार हो गई है। आरक्षण की सीमा पार होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। उस याचिका पर हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को जानकारी पेश करने का आदेश दिया था। अब चुनाव आयोग ने इस पर जानकारी पेश कर दी है।

क्या क्या हुआ 25 नवंबर की सुनवाई में :
याचिकाकर्ता- बंठिया आयोग के समक्ष जो स्थिति थी, उसमें ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं था। उस समय का कानून खानविलकर पीठ द्वारा दिया गया फैसला था, जिसमें कोई आरक्षण नहीं था।
तुषार मेहता (सॉलिसिटर जनरल) – अदालत को फैसला करने दीजिए।
तुषार मेहता – हमने अदालत के आदेश की अच्छी नीयत से व्याख्या करने की कोशिश की। हम अभी भी जानकारी जुटा रहे हैं। लेकिन क्या हम इसे एक दिन बाद सुनवाई के लिए रख सकते हैं? नगर पंचायत और नगर निगम के चुनाव हैं। 2 दिसंबर को 246 नगर परिषदों, 42 नगर पंचायतों के चुनाव हैं। ज़िला परिषद, पंचायत समिति और नगर निगम के चुनाव लंबित हैं।
इंदिरा जयसिंह (याचिकाकर्ता) – चुनाव पहले ही घोषित हो चुके हैं। आवेदन पत्र भरे जा चुके हैं।

याचिकाकर्ता – 40 प्रतिशत नगर परिषदों में 50 प्रतिशत आरक्षण का उल्लंघन हुआ है।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत – हम आज कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं।

तुषार मेहता – इसे गुरुवार या शुक्रवार को रखते हैं।

चुनाव आयोग से समय माँगा गया था। याचिकाकर्ताओं ने इसका कड़ा विरोध किया।

याचिकाकर्ता – 50 प्रतिशत आरक्षण का उल्लंघन हुआ है।

मुख्य न्यायाधीश – अंततः, इस मामले में आदेश से बाध्य होकर ही चुनाव होंगे।

आयोग – यदि आप आज निर्णय लेते हैं, तो हमें आरक्षण को उसी के अनुसार वर्गीकृत करना होगा।

शुक्रवार को उसी समय दोपहर 12 बजे

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत – अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी ।

आखिर क्या है मामला
विकास गवली द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि कुछ स्थानीय निकायों में आरक्षण अनुपात 50 प्रतिशत की संवैधानिक सीमा से ऊपर रखा गया है, जो कानून के विरुद्ध है। हालाँकि, राज्य सरकार ने बंठिया आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है कि आरक्षण का ढाँचा उचित है।

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