
अजीत मिश्रा (खोजी)
।।“लखनऊ में ‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी गिरोह पर STF का बड़ा प्रहार: फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर करोड़ों की वसूली करने वाला सदस्य गिरफ्तार”।।
06 दिसंबर 25, उत्तर प्रदेश।
उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक अंतरराज्यीय साइबर ठगी गिरोह के सक्रिय सदस्य को लखनऊ में गिरफ्तार कर बड़ी सफलता हासिल की है। यह गिरोह पुलिस, नारकोटिक्स और क्राइम ब्रांच के अधिकारी बनकर Digital Arrest के नाम पर लोगों को धमकाकर करोड़ों रुपये वसूलता था। गिरफ्तार आरोपी प्रदीप सोनी, निवासी विदिशा (मध्य प्रदेश), फर्जी पहचान और कूटरचित दस्तावेज़ों का सहारा लेकर साइबर फ्रॉड में शामिल था। STF ने उसे गोमतीनगर विस्तार स्थित फीनिक्स पालासियो मॉल के पीछे से गुरुवार रात गिरफ्तार किया।
गिरफ्तारी के दौरान आरोपी के पास से दो मोबाइल फोन, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, ATM कार्ड, ब्लैंक चेक, RC और साइबर फ्रॉड में उपयोग किए गए बैंक खातों के स्क्रीनशॉट बरामद हुए। जांच में खुलासा हुआ कि यह गैंग पीड़ितों के आधार नंबर का दुरुपयोग दिखाकर स्वयं को ‘के. मोहनदास’ नामक पुलिस अधिकारी बताता था और वीडियो कॉल पर वर्दी में दिखाई देकर पीड़ितों को धमकाता था।
इसी तरीके से प्रोफेसर बीएन सिंह से 95 लाख रुपये ठगे गए थे। आरोपियों ने तीन दिनों तक (6–8 अप्रैल 2025) पीड़ित को वीडियो कॉल पर ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा और आरबीआई का कूटरचित नोटिस भेजकर कथित जांच पूरी होने तक पैसे ट्रांसफर करने को मजबूर किया। ठगे गए 95 लाख रुपये 420 ट्रांजैक्शनों के जरिए 11 लेयर तक विभिन्न बैंक खातों में भेजे गए। कुल 1.40 करोड़ रुपये की साइबर ठगी इस नेटवर्क से जुड़ी पाई गई है।
STF पहले ही इस केस में महाराष्ट्र के ठाणे से मोहम्मद इकबाल और शाइन इकबाल को गिरफ्तार कर चुकी है। ताजा गिरफ्तारी में प्रदीप ने स्वीकार किया कि वह बैंक खातों की किट इकट्ठा करने, ATM से कैश निकालने, राशि को क्रिप्टो में बदलने और गैंग में कमीशन बांटने का काम करता था। उसने करीब दो दर्जन बैंक खातों की जानकारी गिरोह को उपलब्ध कराई थी। जांच में यह भी सामने आया कि गैंग व्हाट्सऐप पर फर्जी नामों से संपर्क करता था और मोबाइल समय-समय पर फॉर्मेट करता था।
गैंग के अन्य सदस्यों की पहचान और गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। बरामद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का फॉरेंसिक परीक्षण कराया जाएगा। आरोपी के खिलाफ थाना साइबर क्राइम लखनऊ में धारा 318(4), 319(2), 351(4), 308(2)(3)(4), 338, 336(3), 340(2), 61(2) BNS और 66D IT Act में मुकदमा दर्ज किया गया है।























