उत्तर प्रदेशबस्तीसिद्धार्थनगर 

।। सिद्धार्थनगर ।। तबादले के बाद भी लेखाकार अख्तर हुसैन को DPRO आफिस से मोह नही छूट रहा।।

।। तबादला पत्र जारी हुए महीनों गुजर गये मगर है, लेखाकार ने नया पद नहीं संभाला है।।

अजीत मिश्रा (खोजी)

 बस्ती – मंडल 

।। ट्रांसफर के बाद भी नहीं छूट रहा लेखाकार को पद का मोह,ट्रांसफर के बाद रिलीव का चल रहा है खेल।।

💫 स्थानांतरण के महीनों बाद भी रिलीव नही हो रहे हैं लेखाकार। मलाई खाने के चक्कर में नये तैनाती स्थल पर नही जा रहे हैं लेखाकार।

💫 काम कर रहे हैं सिद्धार्थनगर में दाम ले रहे हैं बस्ती से।

💫 शासन के दिशानिर्देशों का जमकर हो रहा है उलंघन।

05 दिसंबर 25, उत्तर प्रदेश।

सिद्धार्थनगर ।। तबादले के बाद भी लेखाकार अख्तर हुसैन को DPRO आफिस से मोह नही छूट रहा है. शासन के स्थान्तरण निर्देश के बावजूद भी शासन के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए महीनों से कुण्डली मारकर बैठे हुए हैं। मानक के विपरीत कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। यही वजह है कि तबादला पत्र जारी हुए महीनों गुजर गये मगर है, लेखाकार ने नया पद नहीं संभाला है। 

उत्तर प्रदेश की गुड गवर्नेंस के लिए योगी सरकार लगातार काम कर रही है. शहर से लेकर गांव तक हर व्यक्ति को सरकार की ओर से चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले इसको लेकर अधिकारियों को जिम्मेदारी भी दी जा रही है. इसी कड़ी में एकाउंट सेक्शन स्तर पर DPRO आफिस में तैनात अख्तर हुसैन (लेखाकार)का तबादला पत्र जारी किया गया था‌। 

लेकिन बड़ी बात यह है कि अभी भी इनका अपने पद से मोह नहीं छूट रहा है और वह नए तैनाती स्थल पर ड्यूटी नही कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो नये तैनाती स्थल हर्रैया में ज्वाइन करने के तुरंत बाद मोटी कमाई के चलते अपनी सम्बद्धता सिद्धार्थनगर करवा लिये। और बेतन हर्रैया से ले रहे हैं। गैर जनपद में स्थान्तरण के बाद भी देखे जाने पर विकास भवन भी अचंभित है। 

सूत्र बताते हैं कि तबादला पत्र जारी होने के बाद से ही अपने तबादलों को निरस्त कराने की जुगत में भी लगे हुए हैं और अपने राजनीतिक और प्रशासनिक अप्रोच के चलते अपने तबादलों को निरस्त कराना चाहते हैं या फिर अपनी पसंद की जगह पर जाना चाहते हैं. इसलिए इन्होंने खंड विकास कार्यालय हर्रैया पर कामकाज नहीं संभाला है।BDO हर्रैया से फोन पर सम्पर्क करने पर कुछ भी बताने से कन्नी काटते रहे।

इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी के लिए DPRO सिद्धार्थनगर वाचस्पति झा को फोन करने पर उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नही समझा।

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