
अजीत मिश्रा (खोजी)
।। भाकियू “भानू” ने मुख्य चिकित्साधिकारी पर लगाए गंभीर आरोप।।
💫 बस्ती: सीएमओ पर गंभीर आरोप — भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने उच्च स्तरीय जांच व निलंबन की मांग की।
07 दिसंबर 25, उत्तर प्रदेश।
बस्ती।। भारतीय किसान यूनियन (भानू) के जिला उपाध्यक्ष उमेश गोस्वामी ने 05 दिसंबर 2025 को अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, मंडल बस्ती को एक पत्र भेजकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव निगम और चिकित्सक डॉ. बृजेश शुक्ला पर गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं। शिकायत में आरोपों के सत्यापन के लिए उच्च स्तरीय जांच करायी जाने और आरोपितों को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई किये जाने की मांग की गई है।
शिकायत में उमेश गोस्वामी ने आरोप लगाया है कि: • मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव निगम सरकारी आदेशों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए प्रभार स्वेच्छा से बदलते हैं और लेवल-2/लेवल-3/लेवल-4 से संबंधित चार्ज सलाह और नियमों के विरुद्ध दे दिए जाते हैं।
• पत्र में दावा है कि सीएचसी हरैया के चार्ज एवं आरसीएच व सीएमएसडी स्टोर का समस्त चार्ज लेवल-3 के डॉ. बृजेश शुक्ला को अधिक जिम्मेदारी के बिना दे दिया गया, जबकि जनपद में लेवल-4 के चार अधिकारी (डॉ. ए.के. मिश्रा, डॉ. राजन बाबू श्रीवास्तव, डॉ. ए.के. गुप्ता, डॉ. राघवेन्द्र सिंह) मौजूद थे।
• शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि शपथ-पत्र व संबंधित साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की घटनाएँ हुईं; पत्र में उल्लेख है कि शपथ-पत्रों को “बेचकर खा जाने” जैसी गंभीर बातें कही गई हैं।
• पत्र में कहा गया है कि इस तरीके से प्रभार परिवर्तन और स्टोर संबंधित जिम्मेदारियों के आवंटन से टेंडर और संसाधनों के दुरुपयोग की संभावना बनती है तथा नियमों के विरुद्ध व्यक्तिगत लाभ की आशंका है।
शिकायतकर्ता ने उपरोक्त आरोपों के संबंध में आरसीएच व सीएमएसडी स्टोरों में हुए कथित धन/संसाधन के शोषण और नियम-उल्लंघन की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कराकर दोनों—डॉ. राजीव निगम और डॉ. बृजेश शुक्ला—को निलंबित कराने के लिए शासन को पत्राचार करने की मांग की है। पत्र में पूर्व सीएमओ डॉ. आर.एस. दूबे का संदर्भ देते हुए वर्तमान प्रभार देने की व्यवस्थाओं की तुलना भी की गयी है।
मामला प्रशासन के संज्ञान में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल बढ़ गई है। शिकायत में उठाये गए आरोपों की संवेदनशीलता और जनता के स्वास्थ्य से जुड़ाव के कारण स्थानीय लोगों ने शीघ्र, पारदर्शी और निष्पक्ष जांच की मांग की है। फिलहाल ये सभी बातें शिकायतकर्ता के दावों पर आधारित हैं; विभाग से मिली आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है।
अब देखना होगा कि अपर निदेशक इस पत्र पर कौन-सी कार्रवाई करते हैं—क्या मामले की उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया जाता है, और यदि जांच में आरोप सही पाए गये तो विभागीय/विधिक कदम क्या होंगे।





















