
कीरतपुर-नेरचौक-मनाली फोरलेन से तुरंत हटाएं अवैध कब्जे, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कीरतपुर-नेरचौक-मनाली फोरलेन के आसपास एनएचएआई भूमि पर किए अवैध अतिक्रमणों पर तुरंत प्रभावशाली कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विवादित निर्माण को वैध कब्जे में साबित करने की जिम्मेदारी संबंधित कब्जाधारी की होगी, न कि एनएचएआई की। कोर्ट ने आदेश दिए कि एनएचएआई विवादित अतिक्रमण की निशानदेही करवाने के लिए जिम्मेदार नहीं होगी। कोर्ट ने फोरलेन के निर्माण का कार्य जल्द पूरा करने के आदेश भी जारी किए है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने अतिक्रमणों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए जिला व पुलिस प्रशासन को एनएचएआई अधिकारियों की हरसंभव सहायता करने के आदेश भी दिए। कोर्ट ने जनहित में दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात इस फोरलेन प्रोजेक्ट को क्रमबद्ध तरीके से सात अलग अलग प्रोजेक्टों का कार्य पूरा करने और अतिक्रमण हटाने के आदेश पारित किए हैं। कोर्ट को बताया गया कि किरतपुर-नेरचौक प्रोजेक्ट के पहले चरण की कुल लंबाई 85 किलोमीटर के लगभग है। नौलखा ददौर खंड में अधिगृहीत भूमि एनएचएआई को न सौंपने के कारण कार्य प्रभावित हो रहा है। कोर्ट ने संबंधित भू-अधिग्रहण अथॉरिटी बिलासपुर को आदेश दिए कि वह उक्त खंड में अधिगृहीत भूमि चार सप्ताह के भीतर एनएचएआई को सौंपे। कोर्ट ने भू-अधिग्रहण अथॉरिटी को आदेश दिए कि उन 27 ढांचों का कब्जा भी एनएचएआई को दे, जिनका मुआवजा दिया जा चुका है।
कोर्ट ने एनएचएआई को इन निर्माणों को तुरंत तोडऩे के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने फेज टू यानी ग्रीन फील्ड अलाइनमेंट क्षेत्र के तहत मंडी जिला में आने वाली 13 और बिलासपुर जिला में आने वाली 26 इमारतों को चार सप्ताह के भीतर हटाने के आदेश दिए। इन निर्माणों का मुआवजा संबंधित मालिकों को दिया जा चुका है। फेज थ्री यानी सुंदरनगर बायपास क्षेत्र में आठ इमारतें ऐसी हैं, जिन्हें मुआवजा देने के बावजूद तोड़ा नहीं गया है। कोर्ट ने पुलिस सहायता से इन्हें तोडऩे के आदेश दिए हैं। नेरचौक-पंडोह प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 23 किलोमीटर के लगभग है, मगर अभी तक कार्य पूरा नही हो पाया है। कोर्ट ने आदेश जारी किए हैं कि ठेकेदार कंपनी को स्टेटस रिपोर्ट के माध्यम से कार्य पूरा करने की टाइम लाइन मांगी है। कोर्ट ने मुहाल दौंधी के अधिगृहीत पटवार खाने को भी ध्वस्त करने के आदेश जारी किए। इसके बाद पंडोह बाईपास टकोली प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 47 किलोमीटर के लगभग है, जिसमें की चार सुरंग व 19 पुल हैं। इस क्षेत्र में 15 ढांचों का मुआवजा दिया जा चुका है जिन्हें कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर हटाने के आदेश दिए हैं।
इसके बाद कुल्लू- मनाली प्रोजेक्ट के तहत आने वाले दो ढांचों को तोडऩे के आदेश देते हुए कोर्ट ने उन मामलों को इस जनहित याचिका के साथ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के आदेश दिए, जिनके कारण इस प्रोजेक्ट के तहत निर्माणाधीन पार्किंग के निर्माण में बाधा उत्पन्न हो रही है। कोर्ट ने जिलाधीश कुल्लू को एनएचएआई अधिकारियों, जिला प्रशासन व नगर परिषद मनाली के साथ बैठक कर दुकानों, सुलभ शौचालय, शवदाह गृह और ऐसे अन्य निर्माणों से जुड़े विवादों को हल करने का प्रयास करे। कोर्ट ने फिर दोहराया कि कोई भी दीवानी अदालत या अथॉरिटी एनएचएआई की भूमि पर अतिक्रमणों को लेकर जुड़े विवाद संबंधी केस स्वीकार न करें। कोर्ट ने ऐसे मामले सीधे हाई कोर्ट में संबंधित याचिका के साथ सुने जाने के आदेशों को भी दोहराया।
डीसी कुल्लू को पार्किंग मुद्दे का निपटारा करने के आदेश
कोर्ट ने डीसी कुल्लू को मनाली में वोल्वो बसों, कारों व अन्य वाहनों को पार्किंग स्थल मुहैया करवाने के मुद्दे का निपटारा करने के आदेश भी दिए। इन वाहनों के बेतरतीब पार्किंग किए जाने के कारण मनाली में अक्सर जाम की समस्या बनी रहती है। कोर्ट ने आने वाले पर्यटन सीजन से पहले उक्त सभी खंडों के अतिक्रमणों को हटाने के आदेश भी दिए हैं। कोर्ट ने नगर परिषद मनाली और टैक्सी यूनियन मनाली को प्रतिवादी बनाते हुए इन्हें नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इन्हें पहली अप्रैल, 2019 से अभी तक एकत्रित की गई पार्किंग फीस का ब्योरा देने को कहा।





