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शिवहद में दीवार गिराकर गुड़िया देवी और परिवार पर हमला, रीढ़ की हड्डी टूटी — ढाई साल की शिकायतें धरी की धरी रह गईं

शिवहद में दीवार गिराकर गुड़िया देवी और परिवार पर हमला, रीढ़ की हड्डी टूटी — ढाई साल की शिकायतें धरी की धरी रह गईं

 

बांदा। गिरवां थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत शिवहद में गुड़िया देवी पत्नी रामकृपण पांडेय और उनके पूरे परिवार पर सुनियोजित हमला किया गया। विपक्षियों ने पहले उनके घर की दीवार गिराई और फिर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। हमले में गुड़िया देवी की रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई है और वह जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं।

 

घटना में गुड़िया देवी के पति रामकृपण पांडेय, चार नाबालिग बेटियाँ, और जेठानी भी घायल हुए हैं। परिजनों के अनुसार, सभी को जान से मारने की नीयत से मारा गया। बच्चों को भी नहीं बख्शा गया।

 

गुड़िया देवी ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने की स्वीकृति मिली थी, लेकिन विपक्षी रामकिशोर, बृजेश, छोटेलाल, बृजभान और चन्द्रप्रकाश उस निर्माण में लगातार बाधा डाल रहे थे और ज़मीन पर जबरन कब्जा करना चाह रहे थे। 17 जुलाई को इन लोगों ने जबरन दीवार गिराकर हमला कर दिया।

 

पीड़िता का कहना है कि वह पिछले ढाई वर्षों से जिलाधिकारी, एसडीएम अतर्रा, गिरवां थाना, खुरहंड चौकी, पुलिस अधीक्षक, यहाँ तक कि सदर विधायक तक से न्याय की गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन हर बार सिर्फ तारीखें और आश्वासन ही मिले। हमले से पहले कई बार प्रार्थना पत्र दिए गए, एफआईआर की मांग की गई, लेकिन रिपोर्ट नहीं लिखी गई।

 

एफआईआर आखिरकार 18 जुलाई को दर्ज हुई — वह भी गंभीर हमले के बावजूद सिर्फ मामूली धाराओं में। परिजन इसे पुलिस द्वारा मामले को दबाने की कोशिश मान रहे हैं।

 

घायल अवस्था में 18 जुलाई को ही पूरा परिवार डीएम और एसपी कार्यालय पहुँचा, लेकिन वहाँ भी कोई सुनवाई नहीं हुई। “हर बार की तरह गेट से लौटा दिया गया, किसी अधिकारी ने बात तक नहीं की,” परिजनों ने कहा।

 

गुड़िया देवी ने सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी, परिवार को पुलिस सुरक्षा, और प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ में बाधा डालने वालों पर सख़्त कार्रवाई की माँग की है।

 

यह घटना जिला प्रशासन और पुलिस की संवेदनशीलता पर गहरा सवाल खड़ा करती है। लगातार शिकायतों के बावजूद न कोई समय रहते कार्रवाई हुई, न कोई रोकथाम — और अब पूरा परिवार अस्पताल में है, न्याय से वंचित।

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