
वाराणसी/गाजीपुर।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों से जारी मूसलाधार बारिश ने दशकों पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वेधशाला इतिहास (1889 से) में अक्तूबर महीने की यह अब तक की सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई है। शनिवार को हुई तेज बरसात ने नौ अक्टूबर 1900 को दर्ज 138.9 मिमी वर्षा का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर छत्तीसगढ़, उत्तरी आंतरिक ओडिशा और झारखंड क्षेत्र में बने निम्न दाब तंत्र के कारण पूर्वी यूपी में यह भारी बारिश हो रही है।
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⚠️ मौसम विभाग का अलर्ट
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अगले 3 से 6 घंटों तक खराब मौसम का पूर्वानुमान जारी किया है।
जिले जहां भारी बारिश और तेज हवाओं का खतरा:
बलिया, मऊ, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर।
जिले जहां हल्की से मध्यम बारिश की संभावना:
सोनभद्र, मिर्ज़ापुर, चंदौली, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, आज़मगढ़, अंबेडकर नगर, कानपुर नगर-देहात, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, गोंडा, बहराइच, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर समेत लगभग 30 जिले।
इन जिलों में गरज-चमक, आकाशीय बिजली और 30–40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी देखने को मिल सकती हैं।
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🌊 फ्लैश फ्लड का खतरा
भारी और लगातार वर्षा ने कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। साउथ एशिया फ्लैश फ्लड गाइडेंस सिस्टम (SAFFGS) ने तत्काल चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि पूर्वी यूपी के चार जिले अगले कुछ घंटों में सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।
गंभीर रूप से प्रभावित जिले: बलिया, गाजीपुर, मऊ और देवरिया।
सबसे अधिक खतरा: बलिया जिले में अगले 24 घंटे तक फ्लैश फ्लड का।
स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। नदी और नालों के किनारे रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
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📊 बारिश के ताज़ा आँकड़े (4 अक्टूबर सुबह 8:30 बजे तक)
दह (मिर्ज़ापुर): 67 मिमी
वाराणसी एयरपोर्ट (बाबतपुर): 56.9 मिमी
केवीके कुशीनगर: 54 मिमी
डगमापुर (मिर्ज़ापुर): 53 मिमी
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🚨 प्रशासन और राहत व्यवस्था
बलिया और गाजीपुर में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें अलर्ट पर।
जिला प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।
बिजली गिरने से बचाव के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतने को कहा गया है।
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विशेषज्ञों की राय
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून के बाद इस तरह की बारिश असामान्य है और यह क्लाइमेट पैटर्न में बदलाव का संकेत है। किसानों के लिए यह बारिश जहां खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है, वहीं जलस्तर बढ़ने से रबी की तैयारी के लिए नमी भी उपलब्ध कराएगी।
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📢 निष्कर्ष:
पूर्वी यूपी फिलहाल बेमौसम बरसात की मार झेल रहा है। अगले 24 से 48 घंटे हालात और बिगड़ सकते हैं, इसलिए आमजन को सावधानी बरतने और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करने की सख्त जरूरत है।





