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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मंदिर के चढ़ावे (Temple Funds) के संबंध में एक अहम फैसला सुनाया है। ​चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या

​मंदिर का धन भगवान (देवता) का है। इस धन का इस्तेमाल सिर्फ मंदिर के विकास में किया जा सकता।

सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की बेंच ने कहा है कि:

  • मंदिर का धन भगवान (देवता) का है।
  • ​इस धन का उपयोग आर्थिक संकट से जूझ रहे किसी सहकारी बैंक (Cooperative Bank) को बचाने या उसकी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए नहीं किया जा सकता है।
  • ​मंदिर के धन को सुरक्षित रखना और केवल मंदिर के हित में उपयोग करना आवश्यक है।
  • ​यह धन किसी सहकारी बैंक की आय या उसके अस्तित्व (survival) का साधन नहीं बन सकता।

​यह फैसला केरल के तिरुनेल्ली मंदिर देवस्वम के मामले में आया, जहाँ मंदिर ने स्थानीय सहकारी बैंकों से अपनी एफडी (FD) की रकम वापस मांगी थी, जिसे बैंकों ने लौटाने से मना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया जिसमें बैंकों को मंदिर का पैसा लौटाने का निर्देश दिया गया था।

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