छत्तीसगढ़/कोरबा ब्यूरो: बांग्लादेश में हुई सियासी उथल-पुथल का असर भारत पर भी देखने को मिल रहा है. एक ओर जहां सीमाओं पर चुनौतियां बढ़ गई हैं तो वहीं इस घटनाक्रम के बाद आतंकवाद संगठनों की सक्रियता का खतरा भी बढ़ गया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि भले ही कहा जा रहा हो कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ छात्रों ने माहौल बनाया हो. लेकिन तमाम खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि इस हिंसा के पीछे सक्रिय आतंकवादी संगठनों का हाथ था, जिनकी साजिश बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ भी थी.
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ने कथित तौर पर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए बांग्लादेश की अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के साथ साझेदारी की है. खुफिया जानकारी से पता चलता है कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने बांग्लादेश में हुए इस बदलाव में बड़ी भूमिका निभाई. इसमें जमात-ए-इस्लामी और एबीटी सहित अन्य आतंकवादी समूहों का समर्थन था. रिपोर्ट से पता चलता है कि ABT और LeT के बीच 2022 में एक सहमति बनी थी, जिसका मकसद भारत में आतंकी हमला करना था.
त्रिपुरा की घटना ने बनाया ये आतंकी गठजोड़
रिपोर्ट से पता चलता है कि त्रिपुरा में मस्जिदों को नुकसान पहुंचाने की खबरों के बाद लश्कर और एबीटी ने ये गठबंधन किया. 2022 के खुफिया इनपुट से संकेत मिलता है कि लगभग 50 से 100 एबीटी कैडर त्रिपुरा में घुसपैठ करने की योजना बना रहे थे. लेकिन इनमें से कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था.