
हाइलाइट्स
- बिहार चुनाव 2025 से पहले मुस्लिम वोट बैंक पर जेडीयू में घमासान
- ललन सिंह के बयान के बाद डैमेज कंट्रोल में जुटे नीतीश कुमार
- यूपी के बलिया के रहने वाले गुलाम रसूल बलियावी बने महासचिव

क्या है पूरा मामला
जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह ने मुजफ्फरपुर में एक कार्यकर्ता सम्मेलन में मुस्लिम वोटों पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार ने मुस्लिम समाज के लिए बहुत काम किया है, लेकिन वोट उन्हें मिलता है जिन्होंने कुछ नहीं किया। ललन सिंह कहा था कि नीतीश कुमार ने मुस्लिम समाज के लिए बहुत काम किया है लेकिन वोट उन लोगों को मिलता है जिन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए छटांक भर काम नहीं किया। केंद्रीय मंत्री के इस बयान के बाद विपक्ष ने ललन सिंह पर BJP की भाषा बोलने का आरोप लगाया।
जेडीयू के अंदर सियासी बवाल
इतना ही नहीं, इस बयान के बाद जेडीयू के अंदर भी अलग-अलग राय सामने आईं। नीतीश कुमार के करीबी और जेडीयू मंत्री अशोक चौधरी ने ललन सिंह का बचाव किया। उन्होंने कहा कि ललन सिंह की बात को गलत समझा गया है। अशोक चौधरी ने कहा कि ललन सिंह ने ये कहा है कि जिस तरह से नीतीश मुसलमानों का काम करते हैं, उस तरह से जेडीयू को उनका वोट नहीं मिलता है
वहीं, जेडीयू के ही दूसरे मंत्री जमा खान ने कहा कि जेडीयू को सभी जातियों और धर्मों के लोग वोट देते हैं। क्योंकि नीतीश कुमार किसी के साथ भेदभाव नहीं करते। उन्होंने कहा कि जेडीयू को मुसलमानों के साथ-साथ हर जाति और धर्म का वोट मिलता है क्योंकि नीतीश जाति और धर्म को देखकर काम नहीं करते।
नीतीश कुमार ने गुलाम रसूल बलियावी पर खेला दांव
माना जा रहा है कि इस विवाद को शांत करने के लिए नीतीश कुमार ने गुलाम रसूल बलियावी को जेडीयू का महासचिव बनाया। बलियावी पहले भी जेडीयू के सांसद, विधान पार्षद और महासचिव रह चुके हैं। वे उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले रामविलास पासवान की LJP छोड़कर जेडीयू में शामिल हुए थे। नीतीश कुमार ने उन्हें पहले राज्यसभा और फिर विधान परिषद भेजा था। बलियावी ललन सिंह की टीम में भी महासचिव थे। लेकिन जब नीतीश ने पार्टी की कमान संभाली तो उन्हें नई टीम में जगह नहीं मिली थी।
बिहार में मुस्लिम वोट के लिए जबरदस्त फाइट
2025 के विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिम वोटों के लिए RJD, AIMIM और जन सुराज पार्टी के बीच कड़ी टक्कर है। ऐसे में बलियावी की नियुक्ति को नीतीश कुमार की एक रणनीतिक चाल माना जा रहा है। इसके साथ ही नीतीश ने हर्षवर्धन सिंह को भी जेडीयू का महासचिव बनाया है। हर्षवर्धन सिंह दिल्ली में पार्टी के दफ्तर का काम देखते हैं
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