आगरा:
उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण को ओडिशा की तर्ज पर निजी हाथों में सौंपने का प्रस्ताव प्रदेश सरकार ने तैयार किया है। आगरा में 14 साल पहले 1 अप्रैल 2010 को ही बिजली निजी कंपनी टोरंट पावर को दे दी गई थी। प्रदेश में सबसे पहले बिजली वितरण नेटवर्क आगरा में ही निजी हाथों में सौंपा गया। 20 साल के लिए करार किया। आगरा के बिजली उपभोक्ताओं को निजीकरण से बेहतर सुविधाएं मिली हैं, हालांकि सरकारी कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ हैं।
*लागू होगा ओडिशा का पीपीपी मॉडल*
ओडिशा में दो साल पहले ओडिशा सरकार और टाटा पावर ने पीपीपी मॉडल से बिजली वितरण व्यवस्था में बदलाव किया। आगरा में फ्रेंचाइजी मॉडल है, जिसमें डीवीवीएनएल लाइसेंसी है, जबकि टोरंट पावर फ्रेंचाइजी कंपनी। टोरंट पावर के पास दक्षिणांचल की संपत्तियों की मिल्कियत नहीं है। ओडिशा मॉडल में प्राइवेट कंपनी पर 51 फीसदी और सरकार का हिस्सा 49 फीसदी है। इससे कंपनी के पास मिल्कियत है और बिजली की खरीद, जरूरी बदलाव में निर्णय लेने की क्षमता है। लाभ और हानि का हिस्सा शेयर के मुताबिक बना रहेगा। प्रदेश सरकार दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का ओडिशा की तरह ही पीपीपी मॉडल पर निजीकरण करने वाली है।
*ये हुए बदलाव*
पूरे शहर का बिजली वितरण नेटवर्क भूमिगत हुआ
आंधी, तूफान, बारिश में बिजली कटौती कम हुई
33 केवी के 27 सबस्टेशनों को रिंग के जरिए जोड़ा गया
तकनीकी खराबी में दूसरे स्टेशन से बिजली की आपूर्ति
27 सबस्टेशनों को स्काडा सिस्टम से जोड़ा गया
29 सबस्टेशन कर्मचारी रहित, कंट्रोल रूम से निगरानी
बिजली फॉल्ट मरम्मत का समय 4 घंटे से घटकर एक घंटे हुआ
ओवरलोडिंग के कारण इस साल कोई ट्रांसफार्मर नहीं फुंका
बिजली बिल जमा करने की कतारें खत्म, ऑनलाइन सिस्टम भी
पहले 2.25 लाख विद्युत उपभोक्ता थे, अब 5 लाख से ज्यादा
बिजली कटौती में कमी, तार टूटने, फेज उड़ने की शिकायतें कम