नई दिल्ली : सीरिया में विद्रोह के बाद पैदा हुए तनावपूर्ण हालात के बीच भारत ने मंगलवार (10 दिसंबर) को अपने 75 नागरिकों को सुरक्षित निकाला है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने बताया कि भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी का यह मिशन दमिश्क और बेरूत में भारतीय दूतावासों की मदद से संभव हुई। अब इन सभी भारतीय नागरिकों को लेबनान के रास्ते भारत लाया जाएगा।
विद्रोही बलों द्वारा राष्ट्रपति बशर असद की सरकार को गिराने के दो दिन बाद की गई है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने बताया कि भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को संभावित खतरे को ध्यान में रखकर उनकी सुरक्षित निकासी का पूरा मैनेजमेंट दमिश्क और बेरूत में स्थित भारतीय दूतावासों ने किया. विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि सीरिया से निकाले गए लोगों में जम्मू-कश्मीर के 44 तीर्थयात्री शामिल हैं, जो सैयदा जैनब (सीरिया में शिया मुस्लिमों का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल) में फंस गए थे.
सीरिया से निकाले गए सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंच गए हैं और कमर्शियल फ्लाइट से भारत आएंगे. विदेश मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि विदेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दमिश्क और बेरूत में भारतीय दूतावासों के बीच बेहतर समन्वय से भारतीय नागरिकों की सीरिया से सफल निकासी संभव हो सकी. एमईए ने कहा कि सीरिया के हालातों पर हम नजर बनाए हुए हैं और वहां बचे हुए भारतीय नागरिकों के संपर्क में हैं. नागरिकों को दमिश्क में भारतीय दूतावास के इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर +963 993385973 (व्हाट्सएप पर भी उपलब्ध) और ईमेल आईडी (hoc.damascus@mea.gov.in) पर संपर्क में रहने की सलाह दी गई है.
सैयदा जैनब मजार पर गए थे जायरीन
बता दें कि हाल ही में विद्रोही बलों ने सीरिया की बशर अल असद की सरकार का तख्तापलट कर दिया। जिसके बाद सीरिया में सुरक्षा स्थिति बिगड़ गई। इस मिशन में जम्मू-कश्मीर के 44 मुस्लिम तीर्थयात्री भी शामिल थे। यह सभी भारतीय नागरिक सैयदा जैनब मजार पर जियारत, इबादत-सजदा करने गए थे। हालात बिगड़ने पर यहीं फंस गए थे।
लेबनान के रास्ते होगी सुरक्षित वतन वापसी
निकासी के बाद सभी भारतीय नागरिक लेबनान पहुंच चुके हैं। वहां से उन्हें कमर्शियल फ्लाइट के जरिए भारत लाया जाएगा। सरकार ने स्पष्ट किया कि विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है। भारतीय दूतावासों ने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तेजी से कदम उठाए। जिन नागरिकों को सहायता की आवश्यकता है, उन्हें इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर और ईमेल के माध्यम से संपर्क में रहने की सलाह दी गई है।
विद्रोह के बाद सीरिया में बदले हालात
सीरिया में हाल ही में विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क सहित अन्य प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया। बशर अल असद की 14 साल की सत्ता का अंत हो गया, और वह अपने परिवार सहित रूस में शरण लेने चले गए। असद का शासन गृहयुद्ध और राजनीतिक दमन के लिए जाना जाता था। विद्रोह के बाद से सीरिया में अल्पसंख्यक शिया समुदाय के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं।
तीर्थयात्रियों की सुरक्षित निकासी क्यों अहम?
सैयदा जैनब मजार शिया मुसलमानों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है। यह मजार दमिश्क में स्थित है, जहां दुनिया भर से शिया मुस्लिम आते हैं। विद्रोह के बाद सुन्नी बहुल सीरिया में इस मजार की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। हिजबुल्लाह और अन्य शिया लड़ाके इस मजार की सुरक्षा में लगे हुए हैं। निकाले गए तीर्थयात्रियों में अधिकांश जम्मू-कश्मीर से थे, जो वहां इबादत-सजदा करने के लिए गए थे।
रंग लाई भारत की कूटनीतिक कोशिश
विदेश मंत्रालय ने सीरिया से भारतीयों को निकालने के लिए कूटनीतिक कोशिश की। दमिश्क और बेरूत में भारतीय दूतावासों ने समन्वय बनाया गया। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सीरिया के संकटग्रस्त इलाकों में बचे हुए भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। भारत ने कहा कि मौजूदा समय में सीरिया के हालात पर नजर बनाए रखना जरूरी है।
असद के शासन का अंत का क्या होगा असर?
बशर अल असद के सत्ता से हटने के बाद सीरिया में राजनीतिक उथल-पुथल जारी है। असद का शासन गृहयुद्ध और हिंसा से भरा था। विद्रोही सरकार के गठन के बाद शिया समुदाय और उनके धार्मिक स्थलों पर खतरे की आशंका बढ़ गई है। भारत ने इस स्थिति में अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। समय रहते सीरिया से सभी भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी की कोशिशें तेज कर दी गई है
मॉस्को में शरण लिए हुए हैं असद
रूसी सरकारी मीडिया ने बताया कि असद मॉस्को में हैं और उन्हें यहां शरण दी गई है। उनका लगभग 14 साल का कार्यकाल गृह युद्ध, रक्तपात और अपने राजनीतिक विरोधियों पर क्रूर कार्रवाई के लिए जाना जाता है। वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि वह सीरिया में चल रहे घटनाक्रम पर नजर रख रहा है और उस देश में शांतिपूर्ण और समावेशी सीरियाई नेतृत्व वाली राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की वकालत की है।