सीधी। अपने बड़े-बड़े कारनामों के लिए चर्चित ग्राम पंचायत करैल के रोजगार सहायक सह प्रभारी सचिव का एक और कारनामा सामने आया है जिसमें उन्होंने भारत सरकार के नियमों को भी ताक पर रखकर बेहिचक अपने चेहतो को उपकृत किया है। भारत सरकार ने बेघर और कच्चे घर में रह रहे लोगों को पक्का आवास बनाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की। ग्राम पंचायत करैल के ग्राम चंदरसा निवासी सूरज लाल पानिका पिता बाबूलाल पनिका के लिए वर्ष 2019-20 में पंजीयन क्रमांक एमपी 4852424 के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ और प्रशासकीय स्वीकृति क्रमांक एमपी 15007/1/488 दिनांक 14 जून 2019 को 130000 रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई जिसका भुगतान सूरज लाल पनिका के खाता क्रमांक *****.7307 मैं 25 जून 2019 को₹25000, 5 अक्टूबर 2019 को 45000 रुपए, 8 नवंबर 2019 को 45000 रुपए और फिर आखिरी किस्त के रूप में 2 जनवरी 2020 को ₹15000 का भुगतान किया गया है। इसके बाद सूरज लाल पनिका की पत्नी पार्वती पिता हरीलाल का वर्ष 2024- 25 में आवेदन क्रमांक एम पी 106008206 के अंतर्गत प्रशासकीय स्वीकृति क्रमांक एमपी 15007/1/1184 दिनांक 10 सितंबर 2024 को 120000 रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। उक्त स्वीकृति के बाद पार्वती पनिका के खाता क्रमांक******1320 मैं 25 अक्टूबर 2024 को ₹25000 का भुगतान भी किया जा चुका है। सवाल यह उठता है कि क्या पति-पत्नी दोनों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि ऐसा हरगिज नहीं किया जा सकता है पति और पत्नी दोनों के लिए ही प्रधानमंत्री आवास दिया जाता है और पात्रता का निर्धारण ग्राम पंचायत में पंचायत सचिव करते हैं। इस आधार पर यदि देखा जाए तो सूरज लाल पनिका को वर्ष 2018-19 में ही प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ प्राप्त हो चुका था ऐसे में उनकी पत्नी पार्वती पानिका इसके लिए पात्र नहीं थी, लेकिन ग्राम पंचायत के प्रभारी सचिव और रोजगार सहायक शिव प्रसाद यादव की कृपा के चलते उन्हें दूसरी बार प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ प्राप्त हुआ जबकि प्रभारी सचिव को यह अच्छी तरह से मालूम था की पार्वती इसके लिए पात्र नहीं है। सरकारी दस्तावेजों में भी पार्वती पानिका पिता हरीलाल पानिका सूरज लाल पानिका की पत्नी के रूप में दर्ज है। इसके बावजूद भी प्रभारी सचिव ने भारत सरकार के नियम कायदों को ठेका दिखाते हुए अपनी मनमानी कर चाहे तो को उपकृत किया और सरकारी दस्तावेजों में हेर फेर भी की है जो की गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। जिम्मेदार लोग हो सकता है कि इस गंभीर अपराध की बजाय महेश एक त्रुटि मानकर दरकिनार कर दें लेकिन यह एक सोची समझी और पूरे होशो-हवास में की गई कूट रचना और शासन के साथ धोखाधड़ी है।
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