कच्चे तेल के दाम दो वर्षों मे सबसे निचले स्तर(38% सस्ता) होने के बावजूद डीजल पेट्रोल के दामो कोई कमी न होना कुछ समझ मे नही आ रहा जब कम्पनियों को सस्ते तेल मिल रहे तोआम आदमी की जेबो पर भी उसका असर दिखना चाहिए लेकिन एसा न होना कहीं न कहीं सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराना चाहिए और विपक्ष (खासकर राहुल गांधी)के उन आरोपो पर विचार करनी चाहिए जिसमे वर्तमान मोदी सरकार को पूंजीवादीयो की सरकार कहा जाता है…अगर विपक्ष के ये आरोप गलत है तो फिर कच्चे तेल के दाम 38% सस्ता होने के बावजूद तेल कम्पनियों द्वारा पेट्रोल और डीजल के दाम क्यों कम नही किए जा रहे जबकि मात्र 9 माह मे ही तेल कम्पनियों को लगभग 69000 करोड़ रुपये का मुनाफा भी हुआ ।जिसमे इंडियन आयल कम्पनी को सर्वाधिक मुनाफा हुआ है ।…पर अफसोस कम्पनियों का मुनाफा तो हो गया लेकिन आम आदमी अभी भी पेट्रोल डीजल की वही मार खाने को मजबूर है।
इसे मीडिया सामने क्यो नही ला रही ये भी सोचने वाली बात है….क्या मीडिया अभी भी राम मंदिर की घंटियो की गडगडाहट से छुटकारा नही पा सका या छुटकारा पाना नही चाहता ….खैर जो भी है अब सरकार की सुचिता पर भी प्रश्न उठने लगे है …आशा है सरकार इसपर जल्द ही अपना सकारात्मक रुख स्पष्ट करेगी और डीजल पेट्रोल के दामो मे गिरावट देखने को मिलेगी ।
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