
रायगढ़। सरकारी जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन का डंडा चला है। सोमवार को आधा दर्जन जगहों पर एसडीएम, सीएसपी और तहसीलदार की टीम ने अतिक्रमण को जमींदोज किया है। कलेक्टर ने पिछले दिनों शहर में हो रहे अवैध कब्जों पर सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया था। सोमवार सुबह से शहर में अतिक्रमणकारियों की शामत आ गई। सरकारी जमीनों को घेरकर मकान बनाने वालों पर बुलडोजर कार्रवाई की गई। प्रशासन को कई विकास कार्य और निर्माण करने के लिए रिक्त जमीनें नहीं मिल रही हैं क्योंकि भूमाफियाओं ने अवैध कब्जा करके सरकारी जमीनें बेच दी हैं। रोड किनारे प्राइम लोकेशन की जमीन भी बिक गई। कई वार्ड से अतिक्रमण की शिकायत आ रही थी। कलेक्टर ने इस पर लगातार कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
सोमवार को एसडीएम गगन शर्मा, सीएसपी अभिनव उपाध्याय, तहसीलदार लोमस मिरी समेत कई आरआई-पटवारियों ने जेसीबी लेकर कार्रवाई शुरू की। सबसे पहले उद्योग विभाग कार्यालय के पीछे नाला किनारे की जमीन पर अतिक्रमण हटाया गया। यहां तीन परिवारों ने नाले की जमीन को पाटकर अतिक्रमण कर लिया था। बुलडोजर लेकर इनके निर्माण को तोड़ा गया। अंदर के कमरों में सामान रखा होने के कारण इसे हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट करने का आदेश दिया गया है। मकानों के सामने के हिस्से को तोड़ दिया गया। इसके बाद मेडिकल कॉलेज रोड में हॉस्पिटल के सामने कार्रवाई की गई। यहां करीब 20 लोगों ने ठेले और गुमटी बना ली थी।
हॉस्पिटल के गेट से निकलते ही ठेलों के कारण रोड संकरी हो चुकी थी। कई बार एंबुलेंस का भी एक्सीडेंट होते-होते बचा। एसडीएम के आदेश पर सभी ठेला व्यवसायियों को सामान हटाने का समय दिया गया। इसके बाद एक-एक कर सारे निर्माण तोड़ दिए गए। यह पूरी जमीन मेडिकल कॉलेज को आवंटित है। कुछ साल पहले बनी दुकानों में कई परिवार रह रहे हैं। इन्होंने ही रोड किनारे ठेले खोले थे। टिन के शीट डालकर मकान भी बना लिए गए थे। उसको भी बुलडोजर ने तोड़ा। मौके पर मौजूद लोगों को एसडीएम अवैध कब्जा न करने की हिदायत दी है। कुछ दिनों पहले इस रोड पर नाले किनारे पाटकर निर्माण कर रहे सरपंच पर भी कार्रवाई की गई थी। कई जगहों पर हो रहे निर्माण भी कार्रवाई की जद में हैं।
वर्षों का कब्जा मिनटों में ढहाया
उपभोक्ता फोरम के सामने कई सालों से सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया गया था। गिरधारी और गोवर्धन ने अपने मकान से लगी हुई खाली जमीन पर बाउंड्रीवॉल बनाकर उस पर कब्जा किया था। उसके बाद पार्षद पर भी बची हुई जमीन कब्जाने का आरोप लगा था। तकरीबन 5000 वर्गफुट जमीन पर बनी बाउंड्रीवॉल को तोड़ा गया। दस मिनट में जेसीबी से पूरी जमीन खाली कर दी गई। कहा जा रहा है कि प्रशासन यहां कोई प्रोजेक्ट शुरू करने वाला है, जिससे लोगों को लाभ मिलेगा।
960 वर्गफुट का मकान, 3600 वर्गफुट में कब्जा
केलो विहार कॉलोनी और पंजरी प्लांट केे बीच उपभोक्ता फोरम के इर्द-गिर्द कई अवैध कब्जे हैं। एक पुलिस अधिकारी को 960 वर्गफुट जमीन मिली थी, जिसमें मकान बनाया जाना था। लेकिन उसने करीब 3600 वर्गफुट पर मकान बना लिया है। इस पर कार्रवाई बाकी है। इसके अलावा नर्सरी की जमीन पर भी कई लोगों ने मकान-दुकान बना लिए हैं। रोड संकरी हो चुकी है। यहां तक कि राशन दुकान भी अतिक्रमित जमीन पर बने मकान में चल रहा है।
नापतौल विभाग के सामने झुग्गी हटाने का अल्टीमेटम
इसके बाद तोडफ़ोड़ की कार्रवाई मरीन ड्राइव में नापतौल विभाग के सामने हुई। यहां रोड किनारे झुग्गियां बना ली गई हैं। नापतौल विभाग ने कई बार अतिक्रमण हटाने के लिए पत्र लिखा था। सोमवार को जेसीबी से एक निर्माणाधीन झोपड़ी को तोड़ा गया। वहीं बाजू में दूसरे निवासरत लोगों को जगह खाली करने को कहा गया है। इस दौरान कुछ लोग राजीव गांधी आश्रय पट्टा लेकर आए, लेकिन इसका आवंटन कहीं और था। कब्जा दूसरी जगह किया गया है।
बिजली मीटर, नल कनेक्शन भी
शहर में अवैध कब्जा कराने में नगर निगम और सीएसईबी भी उतनी ही जिम्मेदार है। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर रह रहे लोगों को स्थाई बिजली कनेक्शन दिया गया था। जबकि कोई व्यक्ति विधिवत विद्युत कनेक्शन के लिए आवेदन करता है तो उससे जमीन के मालिकाना हक के दस्तावेज मांगे जाते हैं। सोमवार को जहां भी कार्रवाई हुई वहां मीटर मिले। नगर निगम ने भी दरियादिली दिखाते हुए अमृत मिशन का कनेक्शन दिया है। लोचन नगर में कार्रवाई हुई तो मीटर और पाइपलाइन भी मिली। अवैध स्लम बस्तियों को बसाने में नगर निगम और सीएसईबी बराबर दोषी हैं।
ठेले का मीटर लोहे के बिजली खंभे पर
मेडिकल कॉलेज के सामने ठेलों में जब कार्रवाई हुई तो यहां भी विद्युत कनेक्शन मिला। कई नए कब्जे भी हो रहे थे। कनेक्शनों का मीटर खोजा गया तो यह बिजली के खंभे पर लटका मिला। असुरक्षित तरीके से कनेक्शन दिया गया था। सवाल यह है कि ऐसे ठेलों में भी सीएसईबी कैसे मीटर लगा देता है। इसी वजह से कोई कहीं भी अवैध कब्जा करके मकान बना लेता है।
अपनी जमीन बचाने में नाकाम मेडिकल कॉलेज
मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के सामने उस सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है जो कॉलेज को आवंटित है। लेकिन अपनी जमीन को सुरक्षित रखने के लिए कॉलेज प्रबंधन गंभीर नहीं है। इतने सालों में सामने के हिस्से को समतल कर उपयोग करने की कोशिश तक नहीं की गई। पुराने जर्जर बिल्डिंग भी तोड़ी जानी है। इस वजह से लोग आसानी से कब्जा कर रहे हैंI
बहरहाल देखना होगा की प्रशासन का डंडा और कहीं चलता है या यहीं स्थिर हो जायेगा।