
पुरुष को महान बनाने में स्त्री का वलिदान
विश्वमाता गाय की सेवा ही ईश्वर की सच्ची पूजा : बिहारी
माधौगढ़ (जालौन)- किसी पुरुष को जन्म देने से लेकर उसे महान बनाने में स्त्री का त्याग एवं बलिदान शामिल होता है इसीलिए हमारे समाज में स्त्री का दर्जा सर्वोपरि है।
मुकेन्द पुरी माता मंदिर की असीम अनुकम्पा से श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में मोहन बिहारी शास्त्री ने समाज में स्त्री के सर्वोच्चता पर अद्भुत प्रकाश डाला । उन्होंने बताया कि मनु-शतरूपा से उत्पन्न हुई मानव प्रजाति में दाहिनी कुक्षी से मनुष्य एवं बायीं कुक्षि से स्त्री का प्रादुर्भाव हुआ इसी कारण मनुष्य का दायां अंग और स्त्री का बायां अंग शुभ माना जाता है । यदि पुरुष द्वारा कुछ भी शुभ कार्य पूजा हवन इत्यादि में पुरुष के दाहिने हाथ के साथ स्त्री का बाया हाथ नहीं जुड़ता तो वह पुण्य कर्म निष्फल होते हैं । भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के अभिमान को चूर्ण करने के लिए गोवर्धन लीला के समय अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी उंगली पर विराट पर्वत को उठा लिया था इस बायें हाथ में राधा रानी का शक्ति होना माना जाता है उन्होंने भारत की मातृ शक्ति माता पार्वती, लक्ष्मी ,सरस्वती, महान सती अनुसुइया, ब्रह्मवादिनी, वेदज्ञ ऋषि गार्गी , मैत्रेई , लोपामुद्रा , कौशल्या, सीता ,लक्ष्मीबाई ,आदि सैकड़ो महान माता व स्त्रियों का उदाहरण देते हुए समाज में स्त्री के महत्व पर विस्तृत चर्चा की । उन्होंने कहा जिस समाज में स्त्री का सम्मान होता है वह समाज सुखी और समृद्ध होता है, वहां सभ्यता जिंदा रहती है। गोवर्धन लीला का वर्णन करते हुए कथा व्यास मोहन बिहारी शास्त्री जी महाराज ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाना सिर्फ बृजवासियों के प्राण रक्षा का उद्यम नहीं अपितु इंद्र के अभिमान का मर्दन सहित त्रेता युग से एक जुड़ी घटना जिसमें समुद्र सेतु निर्माण के समय हनुमान द्वारा इस विशाल पर्वत को लेकर आते समय सेतु निर्माण पूरा होने पर भगवान के आदेश पर इस पर्वत को ब्रज भूमि में रख देने के कारण दुखी हुए पर्वत को भगवान श्री राम ने आश्वस्त किया था कि द्वापर युग में पुनः आने पर अपने हाथों पर उठाऊंगा । उन्होंने बताया कि गौ माता भगवान को बहुत प्रिय है कितना भी बड़ा अपराध होने पर गाय की सेवा करते हुए उसकी शरणागत होने पर भगवान कृपा करते हैं। भगवान कृष्ण से क्षमा मांगने के लिए जाते समय इंद्र ने भी सुरभि नाम की गाय को आगे कर पीछे-पीछे चलते हुए शरणागत होकर अभय प्राप्त किया। गाय भगवान का साक्षात स्वरूप है जब ब्रह्मा जी ने कृष्ण की परीक्षा के लिए उनकी समस्त गायों और ग्वालवाल का हरण कर लिया तब भगवान स्वयं एक वर्ष तक ग्वाल एवं गायों के रूप में रहकर लीला करते रहे अतः गाय की सेवा साक्षात भगवान नारायण की सेवा है।
इस मौके पर पारीक्षत श्री मती राम-जानकी शिवहरे , पत्नी स्मृति शेष श्री भीकम प्रसाद शिवहरे, (चच्चा ) अरूण शिवहरे अनिल शिवहरे लोक प्रिय प्रधान खकसीस की मौजूदगी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा प्रमुख रुप से मुकेन्द पुरी मन्दिर के पुजारी राधवानंद महाराज , प्रदीप शिवहरे, साहब सिंह चौहान,जितेंद्र शिवहरे, अरुण कुमार आदेश कुमार, अभिषेक, प्रबल प्रताप, युवराज शिवहरे,कु राधिका शिवहरे, अवधेश शिवहरे, अखिलेश शिवहरे, अंजनी शिवहरे, रामशंकर बुधौलिया,तुतू विश्वकर्मा, पंकज सोनी, अरविंद दुवे,हेमू महाराज, मुन्ना लाल दुवे, राजू पाठक, बाबू जी पाठक सोनू शिवहरे, रामकेश शिवहरे, अलोक जाटव, राघवेंद्र शिवहरे, अवधेश शिवहरे अनूप शिवहरे,लला परासर, शिवसागर अवस्थी,नीतू पुजारी, मनोज शिवहरे पत्रकार, लल्लू दुवे,सोमकान्त दुबे, विकल गुर्जर, अंकित अवस्थी, विकास शिवहरे, गोपाल कुशवाहा, अर्जुन यादव, लल्लू प्रजापति, कृष्ण कुमार यादव, प्रमोद शिवहरे, कमलेश शिवहरे, गोलू चौहान,जितेंद्र कुमार गोहनी, विशंमर शिवहरे, रामकुमार सिंह राजावत, रामशंकर शिवहरे,सेबर रावत,शीपू शिवहरे,लखन बाल्मीकि, धनश्याम दोहरे सहित भारी संख्या में भक्तजनों ने भाग लिया।