
✍️अजीत मिश्रा (खोजी)✍️
।। सिद्धार्थनगर (यूपी)।।
।।जब जिले के जिम्मेदार ही नियमों की करेंगे अनदेखी तो अन्य से क्या रखी जाय उम्मीद।।
।।एक बाल विकास जोगिया का संविदा कर्मचारी बन बैठा अपने विभाग सहित डीआरडीए एवं मनरेगा जैसे विभागों में नाजिर।।
जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई सूचना के क्रम में बाल विकास परियोजना जोगिया में बतौर कनिष्ठ सहायक संविदा के पद पर 2001 में हुई थी नियुक्ति।
तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी द्वारा शासनादेश के विरुद्ध अपनी नियमावली के क्रम में एक संविदा कनिष्ठ सहायक को टेक्निकल माने जाने वाले पद डीआरडीए और मनरेगा में बना डाला नाजिर। वही आईजीआरएस के माध्यम से तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी ने संविदा बाबू पर दिखाई अपनी एक और मेहरबानी, आवंटित करवा डाली विकास खंड नौगढ़ परिसर में सरकारी आवास।
जिम्मेदारों के मेहरबानी का संविदा कनिष्ठ सहायक ने उठाया भरपूर लाभ, आवास के लिए दिए प्रार्थना पत्र दिनांक 16/12/21 के क्रम में खुद को बता डाला नाजिर डीआरडीए/मनरेगा।
जबकि शासनादेश के क्रम में संविदा एक अनुबंध होता है जिसमें एक विभाग से दूसरे विभाग को नहीं किया जा सकता संबद्ध लेकिन सिद्धार्थनगर जिले में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा बना डाली गई अपनी नई नियमावली। मजे की बात ये कि वर्तमान मुख्य विकास अधिकारी से लेकर संबंधित ब्लाक स्तर के अधिकारियों के संज्ञान में उक्त प्रकरण आने के बावजूद संविदा कर्मचारी के ऊपर कार्यवाही के जगह बचाने में लग गया पूरा विकास विभाग।
अब ऐसे में योगी सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति के दावे को संदेह के घेरे में लाकर खड़े कर चुके। जिम्मेदारों की कही न कही इस कार्य में संलिप्तता के संकेत मिले ।आईजीआरएस में आवंटित सरकारी आवास में संविदा कर्मचारी नाजिर डीआरडीए का और कंटीजेंसी बिल जिला कार्यक्रम की। जिले में जिम्मेदारों के रहमो करम से ऐसे बहुत से नायब हीरे भ्रष्टाचार की चमक को रहे है बढ़ा।
।। बाल विकास विभाग जोगिया में संविदा के तौर पर कनिष्ठ सहायक जय प्रकाश श्रीवास्तव जो बन बैठा नाजिर डीआरडीए/मनरेगा।।