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पूर्व एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य की बढी मुश्किले

पूर्व एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य की बढी मुश्किले

पूर्व एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य की बढी मुश्किले

 

वाराणसी। विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) यजुवेन्द्र विक्रम सिंह की अदालत ने पूर्व एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरित ग्रंथ पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में निचली अदालत को निगरानी अर्जी को पुनः सुनकर विधिपूर्वक निर्णय करने का आदेश दिया। अदालत में परिवादी अशोक कुमार की तरफ से अधिवक्ता नदीम अहमद खान, मनोज कुमार, विवेक कुमार, नाजिया सिद्दकी ने पक्ष रखा।

 

⚡️बतादे कि 22 जनवरी 2023 को पूर्व एमएलसी व सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा एक इंटरव्यू में श्री रामचरित मानस पर आपत्तिजनक बयान दिया गया था, जिसमें पत्रकार द्वारा पूछा गया कि श्री तुलसी दास के रामायण करोड़ों हिन्दुओं के आस्था का एक ग्रन्थ है व इसका घरों में मानस पाठ होता है, आपको नहीं लगता है कि आपके इस बयान से करोड़ों हिंदू नाराज हों जाएंगे, तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि इसे मैं और कोई करोड़ों करोड़ों हिंदू नहीं पढ़ते हैं, सब बकवास है, तुलसीदास जी अपने प्रसन्नता के लिए इसे लिखा है, फ़िर पत्रकार द्वारा पूछा गया कि आप क्या चाहते हैं, तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि इसमें आपत्तिजनक शब्द को हटा दे या रामचरित्र पुस्तक को पूरी तरह बैन कर दिया जाना चाहिए है, उक्त खबर को 22 व 23 जनवरी 2023 को सभी मीडिया चैनल व समाचार पत्र ने दिखाया व प्रकाशित किया जिसको प्रार्थी अधिवक्ता अशोक कुमार ने बनारस बार एसोसिएशन के सभागार में लगे टीवी पर देखा और उससे आहत हुआ। अधिवक्ता अशोक कुमार ने 24 जनवरी 2023 को वाराणसी पुलिस कमिश्नर के यहां उपरोक्त की लिखित शिकायत किया, उसके बाद एसीजेएम प्रथम/एमपी – एमलए कोर्ट की अदालत में 25 जनवरी 2023 को प्रार्थना पत्र 156 (3) द.प्र.स.के तहत दाखिल किया जिसे अदालत ने 17 अक्टूबर 2023 को खारिज कर दिया, उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर अधिवक्ता अशोक कुमार ने जिला जज के अदालत में आपराधिक रिवीजन दाखिल किया जो स्थानांतरण होकर विशेष न्यायाधीश (एमपी -एमलए कोर्ट) यजुवेंद्र विक्रम सिंह की अदालत में गई, जहां विपक्षी स्वामी प्रसाद मौर्य के तरफ से लिखित आपत्ति दाखिल किया गया और अधिवक्ता अशोक कुमार जाटव के तरफ से अधिवक्ता नदीम अहमद खान, मनोज कुमार, विवेक कुमार, नाजिया सिद्दकी ने जोरदार बहस किया और अपना पक्ष रखा, अदालत ने दोनों को सुनकर पत्रावली व साक्ष्य का परिशिलन करके आज 9 मई 2025 को निचली अदालत के आदेश 17 अक्टूबर 2023 को अपास्त करते हुए निचले अदालत को आदेश दिया कि पुनः सुनकर विधिपूर्वक निर्णय करे

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