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अपने नाबालिग बच्चों से दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति को 30 साल सश्रम कारावास की सजा

गढ़वा से विशेष न्यायाधीश (पोक्सो) दिनेश कुमार की अदालत ने सोमवार को एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में उसके पिता शेख इम्तेयाज को दोषी करार देते हुए अंतिम सांस तक के लिए आजीवन सश्रम कारावास और एक लाख रुपये के आर्थिक दंड की सजा सुनाई है।

संवाददाता अखिलेश विश्वकर्मा गढ़वा से गढ़वा विशेष न्यायाधीश (पोक्सो) दिनेश कुमार की अदालत ने सोमवार को एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में उसके पिता शेख इम्तेयाज को दोषी करार देते हुए अंतिम सांस तक के लिए आजीवन सश्रम कारावास और एक लाख रुपये के आर्थिक दंड की सजा सुनाई है। दोषी शेख इम्तेयाज गढ़वा थाना क्षेत्र के संग्रह खुर्द गांव का निवासी है

यह मामला 15 मई 2023 को गढ़‌वा थाना कांड संख्या 197/2023 के तहत दर्ज किया गया था। पीड़िता के दादा शेख एजुल्लाह द्वारा दी गई लिखित शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पीड़िता अपने घर में मायूस रहा करती थी और उसने अपनी दादी को बताया कि उसके पिता उसके साथ दुष्कर्म करते हैं। दादी से जानकारी मिलने पर दादा ने पीड़िता से पूछताछ की, जिसमें उसने खुलासा किया कि ईद से पहले रोजा के समय उसके पिता कई बार दुष्कर्म करते थे और उसे हराते-धमकाते थे कि अगर वह किसी को बताएगी तो उसकी जीभ काट दी जाएगी और डेम में फेंक दिया जाएगा।

इस बात की जानकारी जब परिवार के अन्य सदस्यों को हुई और पूछताछ की गई. को अभियुक्त ने गाली-गलौज और मारपीट की धमकी दी। इसके बाद मामले को लेकर पंचायत भी हुई, लेकिन आरोपी अपने साथ रखने लगा और जान से मारने की धमकी देता रहा। प्राथमिकी दर्ज करने के बाद 20 मई 2023 को गढ़वा थाना पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

 

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 एबी, 5 (एम) और 6 पोक्सो एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल किया। न्यायालय ने विभिन्न धाराओं में संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई की। लोक अभियोजक उमेश दीक्षित ने अभियोजन पक्ष की और से आठ गवाहों के साक्ष्य प्रस्तुत किए, जबकि बचाव पक्ष की और से दो गवाह पेश किए गए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने शेख इम्तेयाज को दोषी करार दिया।

 

सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद अदालत ने उसे आजीवन सश्रम कारावास और एक लाख रुपये जुमनि की सजा सुनाई। न्यायालय ने दोषी को न्यायिक हिरासत में भेजते हुए निर्णय की एक प्रति निशुल्क उपलब्ध कराने का आदेश भी दिया।

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