
09 जून 2025
संथाल समाज के एक प्रतिनिधि मंडल माननीय श्री फागु बेसरा केन्द्रीय अध्यक्ष, संथाल समाज दिशोम माँझी परगना एवं मरांग बुरु संस्थान गिरिडीह के नेतृत्व में राज्य के लोकप्रिय मुख्यमंत्री माननीय श्री हेमन्त सोरेन जी से कांके स्थित आवासीय कार्यालय में 51 सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल ने मुलाक़ात कर मरांग बुरू बचाओ संबंधित एक ज्ञापन सौंपा।
संथाल समाज ने झारखंड सरकार से माँग किया है कि:-
1) मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) पीरटांड, गिरिडीह (झारखण्ड) युगों-युगों से प्राचीन काल से हम संथाल समुदाय “मरांग बुरू” को ईश्वर के रूप में पूजा करते आ रहें हैं। छोटानगपुर कश्तकारी अधिनियम 1908, सर्वे भूमि अधिकार अभिलेख, कमीश्नरी कोर्ट, पटना हाई कोर्ट एवं प्रीवी कौन्सील कोर्ट से संथाल आदिवासियों को प्रथागत अधिकार (Customary right) प्राप्त है।
झारखण्ड़ सरकार से माँग है कि मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) को संथालों का धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित किया जाए।
2) भूमि एवं धार्मिक स्थल संविधान के अनुसार राज्यों का विषय है। झारखण्ड सरकार से माँग है कि आदिवासियों के धार्मिक स्थल मरांग बुरू, लुगू बुरू, अतु/ग्राम, जाहेर थान (सरना), माँझी थान, मसना, हड़गडी आदि धार्मिक स्थल की रक्षा के लिए आदिवासी धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम बनाया जाए।
`3) भारत सरकार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय संशोधन मेमोरंडम पत्र F.No 11-584/2014-WL दिनांक 05 जनवरी 2023 एवं झारखण्ड सरकार पर्यटन, कला, संस्कृति विभाग के पत्रांक 1391, दिनांक 22.10.2016 एवं विभागीय पत्रांक 14/2010-1995 दिनांक 21.12.2022 का दिशा-निर्देश जिसमें मॉस-मदीरा कि सेवन एवं खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। मरांग बुरु (पारसनाथ पहाड़) को सिर्फ जैन समुदाय का सम्मेद शिखर विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल का उल्लेख किया गया है। जो जैन समुदाय के पक्ष में एक तरफा एवं असंविधानिक आदेश है। उसे रद्द किया जाए।
4) मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) संथालों आदिवासियों के धार्मिक तीर्थ स्थल को सुप्रीम कोर्ट केश संख्या 180/2011 एवं अनुसूचित जनजाति और अन्य पराम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के धारा 3 के तहत सामुहिक वन भूमि अधिकार के तहत संरक्षण, प्रबंधन, निगरानी, नियंत्रण एवं अनुश्रवण की जिम्मेवारी वहाँ के आदिवासियों के ग्राम सभा को सौपा जाए।
5) अनुसूचित जनजाति और अन्य पराम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 सम्पूर्ण देश में लागू है। परन्तु बिना ग्राम सभा के सहमति से भारत सरकार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिसूचना संख्या 2795 (अ) दिनांक 02 अगस्त 2019 के तहत मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) को पारिस्थितिकी संवेदी जोन (Eco Sensitive Zone) घोषित किया गया है। जो असंविधानिक है।
केन्द्र एवं राज्य सरकार से माँग है कि इसे रद्द करते हुए मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) पर संथाल आदिवासियों के प्रथागत अधिकार (Customary right) को संरक्षित किया जाए।
6) मरांग बुरू युग जाहेर, बाहा-बोंगा पूजा महोत्सव फागुन शुल्क पक्ष तृतीय तिथि को राज्यकीय महोत्सव घोषित किया जाए।
7) मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) में जैन समुदाय के द्वारा वन भूमि पर अवैध ढंग से मठ-मंदिर, धर्मशाला आदि निर्माण किया गया है, अवैध ढंग से निर्माण को अतिक्रमण से मुक्त किया जाए!
जोहार मरांग बुरु…..
प्रतिनिधि मंडल में सर्व श्री फागू बेसरा, रामचंद्र हंसदा पूर्व सांसद, भोगला सोरेन प्रसिद्ध लेखक, रामलाल मुर्मू, रमेश टुडू, रतिलाल टूडू, सोनाराम माँझी, एतो वास्के, रामकिशोर मुर्मू, अनिल सोरेन, सुरेन्द्र टुडू, सोमाय टुडू, पन्नालाल मुर्मू, सिकेन्दर हेम्ब्रोम एवं अन्य।