A2Z सभी खबर सभी जिले कीअन्य खबरेजबलपुरडिंडोरीनरसिंहपुरबालाघाटभोपालमंडलामध्यप्रदेशसिवनी

मण्डला: जगन्नाथ स्वामी रथयात्रा में दिखा भक्ति का अद्भुत नजारा, जयकारों से गूंज उठा शहर

जगन्नाथ महाप्रभु के स्वस्थ होने के उपलक्ष्य में शुक्रवार को श्री सिद्धघाट रेवा दरबार महिष्मति घाट में भगवान जगन्नाथ स्वामी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई।

वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़ 🌐 

मंडला MP हेमंत नायक महाराजपुर

मण्डला मध्य प्रदेश न्यूज़ 🌐 जगन्नाथ महाप्रभु के स्वस्थ होने के उपलक्ष्य में शुक्रवार को श्री सिद्धघाट रेवा दरबार महिष्मति घाट में भगवान जगन्नाथ स्वामी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। भगवान को काजल लगाने के बाद फलों का भोग लगाया गया, जिसके पश्चात महाप्रभु जगन्नाथ स्वामी की भव्य रथयात्रा नगर में निकाली गई।

श्री सिद्धघाट रेवा दरबार से निकली यह रथयात्रा नेहरू स्मारक, स्टेट बैंक चौराहा, लालीपुर, बस स्टैंड, चिलमन चौक होते हुए पड़ाव पहुंची। पड़ाव में रथयात्रा का भव्य स्वागत किया गया, जहां विकास लकी ट्रेवल्स के संचालक अनिल जायसवाल और विकास जायसवाल व परिजनों ने भगवान जगन्नाथ स्वामी पर पुष्पवर्षा करते हुए महाआरती की। इस दौरान भगवान जगन्नाथ स्वामी को खिचड़ा का भोग लगाकर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।

विकास जायसवाल ने बताया कि वे हर वर्ष भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा का स्वागत करते हैं और वर्ष 2017 से लगातार यह परंपरा निभाते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भगवान को विभिन्न प्रकार के भोग लगाए जाते हैं और उनकी महिमा और आशीर्वाद से कभी कोई वंचित नहीं रहा है।

वरिष्ठ समाजसेवी ओमप्रकाश जायसवाल ने रथयात्रा के आध्यात्मिक संदेश पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह उत्सव दर्शाता है कि ईश्वर की कृपा सभी भक्तों के लिए समान रूप से उपलब्ध है, चाहे वे किसी भी वर्ग या धर्म के हों। रथयात्रा में भगवान का मंदिर से बाहर आना प्रतीक है कि वे अपने भक्तों के करीब हैं और उनकी भक्ति को स्वीकार करते हैं। रथ का खींचना जीवन की आध्यात्मिक यात्रा को दर्शाता है जो आत्मा को भौतिक बंधनों से मुक्त कर ईश्वर की ओर ले जाती है। लाखों भक्तों का एक साथ रथ खींचना सामूहिक भक्ति, एकता और सहयोग की शक्ति को प्रकट करता है। यह उत्सव विनम्रता का भी पाठ पढ़ाता है।

वहीं, सिद्धघाट मां रेवा दरबार के संस्थापक रामप्रसाद ठाकुर ने रथयात्रा निकलने के पीछे की मान्यताओं का जिक्र करते हुए बताया कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के रूप में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम के साथ अपनी बहन सुभद्रा को नगर घुमाने के लिए ले जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इतिहास में भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर घूमने की इच्छा जाहिर की थी, जिसके बाद बहन की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान जगन्नाथ ने तीन रथ बनवाए और सुभद्रा को नगर घुमाने के लिए रथयात्रा पर ले गए। सबसे आगे वाला रथ भगवान बलराम का, बीच वाला रथ बहन सुभद्रा का और सबसे पीछे वाला रथ भगवान जगन्नाथ का होता है। इसी मान्यता के साथ एक और कहानी जुड़ी है कि जब भगवान जगन्नाथ सुभद्रा को नगर घुमाने के लिए रथयात्रा पर निकले, तो रास्ते में ही अपनी मौसी के घर गुंडिचा भी गए और वहां सात दिन ठहरे भी, जिसके बाद से ही हर साल इस रथयात्रा को निकालने की परंपरा शुरू हुई।

सिद्धघाट मां रेवा दरबार से जुड़े विंदी शर्मा ने बताया कि पद्म पुराण के अनुसार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई थी। उस वक्त भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और अपनी लाडली बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने के लिए निकल पड़ते हैं। इसका जिक्र ब्रह्म पुराण और नारद पुराण में भी है। मान्यताओं के अनुसार, अपने मौसी के घर में ठहरने के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ खूब पकवान खाते हैं और फिर वे बीमार पड़ जाते हैं। इसके बाद उनका इलाज किया जाता है और फिर स्वस्थ होने के बाद अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।

समाजसेवी संजय चौरसिया ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जगतपति जगदीश्वर महाप्रभु जगन्नाथ स्वामी ज्येष्ठ मास की गर्मी में शीतल जल में स्नान करने के कारण बीमार हो गए थे और उन्हें जुकाम हो गया था। इसलिए उनके उपचार के लिए दलिया, फलों का रस प्रतिदिन उन्हें दिया गया।

वरिष्ठ समाजसेवी विंदी शर्मा ने यह भी बताया कि सनातन धर्म में रथयात्रा का खास महत्व है। मान्यताओं के मुताबिक, रथयात्रा निकालकर जगन्नाथ महाप्रभु को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुंचाया जाता है, जहां भगवान सात दिनों तक आराम करते हैं। इस बीच गुंडिचा माता मंदिर में खास तैयारियां की जाती हैं और इंद्रद्युम्न सरोवर से मंदिर की साफ-सफाई के लिए जल लाया जाता है। इसके पश्चात जगन्नाथ भगवान की जगन्नाथ मंदिर में वापसी के लिए यात्रा शुरू होती है। रथयात्रा का सबसे खास महत्व यह है कि यह पूरे भारतवर्ष में एक महोत्सव की तरह निकाली जाती है।

यह यात्रा पड़ाव से वापस चिलमन चौक होते हुए उदयचौक, सिटी कोतवाली, स्टेट बैंक चौराहा, नेहरू स्मारक होते हुए वापस सिद्धघाट रेवा दरबार पहुंची, जहां यात्रा का समापन किया गया। रथयात्रा में साहू समाज की महिला-पुरुषों ने भी अपनी सहभागिता दर्ज कराई। रथयात्रा का नगर के अनेक स्थानों पर भव्य स्वागत हुआ।

इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष प्रफुल्ल मिश्रा, पत्रकार परिषद जिलाध्यक्ष नीरज अग्रवाल और समाजसेवी सुनील मिश्रा ने भी रथयात्रा में सहभागिता दर्ज कराते हुए पूजन किया। आयोजित भंडारे में भाजपा जिलाध्यक्ष ने प्रसादी वितरण किया। कार्यक्रम में किशोर रजक, उमाशंकर गुड्डू सिंधिया, रोहित बघेल, सचिन शर्मा, मूलचंद साहू, डॉ. हरिओम नंदा, साहू समाज अध्यक्ष हरि साहू, मुकेश सोनी, सुधीर कांसकार, जनपद अध्यक्ष मंडला संतोष सोनू भलावी, आनंद सोनी, पारस असरानी, अनमोल अग्रवाल, आशीष चौरसिया, विजय अग्रवाल, विनोद पटेल, पूर्णिमा रजक, माया रजक, श्रीमती ज्योति जायसवाल, श्रीमती गीता साहू के साथ सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।

Back to top button
error: Content is protected !!