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मंडला MP हेमंत नायक महाराजपुर
मवई में प्राकृतिक कृषि को लेकर कृषि सखियों का उन्मुखीकरण कार्यक्रम संपन्न
- “मवई में प्राकृतिक कृषि को लेकर कृषि सखियों का उन्मुखीकरण कार्यक्रम संपन्न”
- “कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती के लिए किया गया प्रशिक्षित”
- “प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने मवई में कृषि सखियों का प्रशिक्षण”
- “रसायनमुक्त खेती की ओर एक कदम: मवई में कृषि सखियों का उन्मुखीकरण”
मवई। नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग (National Mission on Natural Farming) योजनांतर्गत किसानों को रसायन मुक्त खेती अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कृषि विभाग द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में विकासखंड मवई के एसएडीओ कार्यालय में चिन्हित कृषि सखियों के लिए एक उन्मुखीकरण बैठक का आयोजन किया गया।
इस बैठक में आत्मा परियोजना के परियोजना संचालक श्री आर. डी. जाटव ने अपनी टीम के साथ उपस्थित होकर कृषि सखियों को प्राकृतिक कृषि की तकनीकी जानकारी दी। उन्होंने जैविक खाद, जैविक कीटनाशकों के निर्माण और उपयोग, मंचिंग तकनीक, मिश्रित फसल प्रणाली, भूमि की उर्वरता बढ़ाने के उपायों तथा जल धारण क्षमता में सुधार लाने वाले तरीकों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। साथ ही उन्होंने स्थानीय संसाधनों के समुचित उपयोग पर बल देते हुए कृषि सखियों से अपील की कि वे स्वयं इस तकनीक को अपनाएं और अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
श्री जाटव ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत समय-समय पर फील्ड डेमो, अनुभव साझा करने हेतु कार्यशालाओं का आयोजन एवं किसानों को जैविक उत्पादों के विपणन में सहयोग प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह योजना न केवल किसानों की आय को बढ़ाने में सहायक है, बल्कि मृदा स्वास्थ्य की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कार्यक्रम के दौरान प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने वाले प्रगतिशील कृषकों को सांवा, कंगनी और रागी जैसे मोटे अनाज के बीज भी वितरित किए गए। यह वितरण मवई जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री भागचंद टिमरिया, उपसंचालक आत्मा परियोजना श्रीमती अंजु कुड़ापे, बीटीएम श्री मोहित गोल्हानी, बीएम श्री राकेश जंघेला तथा कृषि विभाग के अन्य कर्मचारियों की उपस्थिति में किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों ने कृषि सखियों को प्राकृतिक कृषि के लाभ बताते हुए कहा कि आने वाले समय में यह पद्धति कृषि क्षेत्र में एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरेगी, जिससे किसानों को रसायनमुक्त खेती के साथ-साथ बेहतर उत्पादन और बाजार में उचित मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।