
अजीत मिश्रा (खोजी)
।। दबंग लेखपाल ने बिना अनुमति कटवाए 11 सागौन के पेड़, ग्रामीणों में आक्रोश ।।
💫बिना किसी अधिकृत आदेश व वन विभाग के परमिट के काटे गए पेंड़।
💫नगर पंचायत भानपुर में अवैध पेड़ कटाई का मामला ।
💫कटे हुए पेड़ों की अनुमानित बाजार कीमत करीब दो लाख रुपए।
स्थान : बस्ती , उत्तर प्रदेश
बस्ती – नगर पंचायत भानपुर के अंतर्गत राजस्व ग्राम पेलानी में उस समय हड़कंप मच गया जब क्षेत्रीय राजस्व लेखपाल जय प्रकाश वर्मा द्वारा दबंगई दिखाते हुए बिना किसी अधिकृत आदेश और बिना वन विभाग की अनुमति के लगभग 15 वर्ष पुराने 11 सागौन के वृक्षों को काट डाला गया। यह पूरा घटनाक्रम कल दिन में लगभग 3 बजे घटित हुआ, जब लेखपाल कुछ सफाईकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे और पेड़ों की कटाई करवा दी। स्थानीय ग्रामीणों ने जब इस कार्यवाही का कारण और लिखित आदेश पूछा, तो लेखपाल कोई भी वैध दस्तावेज, अनुमति पत्र या सरकारी आदेश प्रस्तुत नहीं कर सके। ग्रामीणों के अनुसार ये वृक्ष ग्राम समाज की खलिहान भूमि, गाटा संख्या–233, पर लगभग 15 वर्ष पूर्व वृक्षारोपण योजना के तहत लगाए गए थे। वर्तमान में इन पेड़ों की अनुमानित बाजार कीमत करीब दो लाख रुपए आंकी जा रही है।ग्रामीणों द्वारा जब इस बारे में नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी से बात की गई, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके द्वारा कोई आदेश नहीं दिया गया है और यह कार्यवाही उनकी जानकारी के बिना की गई है। नगर पंचायत द्वारा इस प्रकार पल्ला झाड़ने से यह स्पष्ट होता है कि पेड़ों की कटाई पूर्णतः अवैध, अनधिकृत और नियमविरुद्ध थी। इस घटनाक्रम के बाद ग्रामीणों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। उनका कहना है कि यह न केवल सरकारी संपत्ति और पर्यावरण का नुकसान है, बल्कि कानून व्यवस्था और जनविश्वास पर भी चोट है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि लेखपाल ने जाते-जाते शिकायत करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी, जिससे पूरे गांव में भय का माहौल बन गया है। वहीं, इस मामले में वन विभाग और स्थानीय प्रशासन की चुप्पी भी कई सवाल खड़े कर रही है। सागवन जैसे बहुमूल्य और संरक्षित वृक्षों की इस तरह से कटाई पर ग्रामीणों ने उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही की मांग की है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कब और क्या कार्रवाई करता है और क्या ऐसे सरकारी कर्मचारियों पर शिकंजा कसता है, जो अपने पद का दुरुपयोग कर पर्यावरण और सरकारी संसाधनों का नुकसान कर रहे हैं।