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Sonbhadra news:केवाल बंधा में लापता किशोर का शव पांचवें दिन मिला, गांव में शोक के साथ उठी निष्पक्ष जांच की मांग

केवाल बंधा में लापता किशोर का शव पांचवें दिन मिला, गांव में शोक के साथ उठी निष्पक्ष जांच की मांग 

दुद्धी, सोनभद्र (राकेश कुमार कन्नौजिया)_
विकासखंड दुद्धी के ग्राम पंचायत केवाल स्थित सरकारी बंधा में 30 नवंबर की शाम लगभग 6 बजे डूबे 14 वर्षीय आशीष कुमार का शव आखिरकार पांचवें दिन बरामद हो गया। डूबने की सूचना मिलते ही स्थानीय ग्रामीणों और प्रशासन ने खोजबीन शुरू की थी, लेकिन दो दिनों तक चली एसडीआरएफ की अथक कोशिशों के बावजूद शव नहीं मिल पाया।

एसडीआरएफ टीम ने अनुमान लगाया था कि पानी के तापमान और परिस्थितियाँ शरीर को ऊपर आने में समय दे सकती हैं, इसलिए प्रतीक्षा की सलाह दी गई थी।

सुबह ग्रामीण ने देखा संदिग्ध आकृति
4 दिसंबर की सुबह करीब 6 बजे गांव के निवासी परदेसी ने बंधा में कुछ संदिग्ध दिखाई दिया। ग्रामीणों की मदद से नाव के जरिए जाकर पुष्टि की गई कि यह उसी किशोर का शव है जिसकी तलाश की जा रही थी। तत्काल सूचना ग्राम प्रधान दिनेश कुमार यादव को दी गई, जिन्होंने मौके पर पहुँचकर घटना की पुष्टि की। इसके बाद विण्ढमगंज थाना पुलिस को सूचित किया गया। पुलिस ने आवश्यक कार्रवाई पूरी कर शव को पोस्टमार्टम हेतु दुद्धी भेज दिया।

परिवार ने उठाए सवाल, निष्पक्ष जांच की मांग
मृतक के परिजनों का कहना है कि कई बिंदुओं पर अभी भी स्पष्ट जवाब नहीं मिले हैं। घटनास्थल की स्थिति, समय अंतराल और अन्य पहलुओं की जांच आवश्यक बताते हुए परिवार ने प्रशासन से निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की है।

ग्रामीणों की अपेक्षाएँ—जांच हो गहन और जिम्मेदार तय हों
ग्रामीणों का मानना है कि ऐसे मामलों में त्वरित और गहन जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। उनका कहना है कि यदि किसी स्तर पर लापरवाही सामने आती है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
यह हादसा न सिर्फ परिवार का दर्द बढ़ाता है, बल्कि जलाशयों के आसपास सुरक्षा, चेतावनी बोर्ड, निगरानी व्यवस्था और तैराकी जागरूकता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी सवाल खड़े करता है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि इस तरह की सुरक्षा व्यवस्थाएँ मजबूत हों, तो ऐसे हादसे काफी हद तक टल सकते हैं।

घटना से पूरे क्षेत्र में शोक का माहौल है। लोगों को उम्मीद है कि प्रशासन की पारदर्शी जांच से पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा और भविष्य में बच्चों व ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए बेहतर कदम उठाए जाएंगे।

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