

सोमवार को वट सावित्री व्रत को लेकर प्रखंड मुख्यालय रामगढ़ भातुडिया , धोबा,समेत पंचायत के विभिन्न गांवों में सुहागिनों अपने पति के दिर्घायु होने की कामना करते हुए वट वृक्ष की पूजा-अर्चना की। संयोग बस सोमवार के दिन ही वट सावित्री व्रत के अवसर पर अमावस्या पड़ जाने के कारण सुबह सबसे पहले तमाम सुहागिनों ने पीपल पेड़ के नीचे सोमवती अमावस्या की पूजा अर्चना की| उसके बाद शुभ मुहूर्त के अनुसार 12 बजे दिन के बाद सभी सुहागिनों ने बरगद पेड़ के नीचे वट सावित्री व्रत की पूजा अर्चना की। मौके पर नेहा कुमारी जानकारी देते हुए बताया कि सबसे पहले शोभा धोबिन ने सोमवती अमावस्या का व्रत किया था, जिसमें पीपल पेड़ के नीचे व्रत करके गांव लौटते ही उसका पति सहित कई लोग अपने आप जीवित हो गए थे और सबसे पहले सावित्री ने वट सावित्री व्रत किया था। उन्होंने भी अपने पति सत्यवान को यमराज से छीनकर जीवित कर लिया था।
उसी दिन से यह दोनों ऐतिहासिक पवित्र और प्रमुख पर्व मनाया जाने लगा। सुहागिन पेड़ के तने में आठ बार कच्चे धागे को लपेटती है। फल के टुकड़े से 108 परिक्रमा करती है। पंखे से बरगद पेड़ को हवा देती है।विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्री से पूजा अर्चना करती है। तमाम सुहागिन महिलाओं ने पीपल और बरगद पेड़ के नीचे पूजा अर्चना करने के बाद अपने निकट के तमाम मंदिरों में पूजा अर्चना कर अपने पति की लम्बी उम्र की कामना की। फिर अपने-अपने घरों में जाकर अपने-अपने पति की पूजा अर्चना की। सभी गांवों में सुहागिन महिलाओं में इस पर्व को लेकर काफी उत्साह देखा गया।






