

मध्यप्रदेश में स्थानीय स्वशासन व्यवस्था को नई दिशा देने की तैयारी शुरू हो गई है। नगर पालिका अध्यक्ष के प्रत्यक्ष चुनाव के फैसले के बाद राज्य सरकार अब जनपद पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया में भी बड़ा बदलाव करने जा रही है। प्रस्तावित व्यवस्था के तहत इन दोनों पदों पर अब सीधे जनता मतदान के माध्यम से प्रतिनिधि चुनेगी।
इस संबंध में राज्य सरकार जल्द ही कानून लाने की तैयारी में है। अभी तक जनपद और जिला पंचायत अध्यक्षों का चयन निर्वाचित पंचायत सदस्यों द्वारा किया जाता था, लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के बाद आम मतदाताओं को सीधे अपने अध्यक्ष चुनने का अधिकार मिलेगा।
सरकार का तर्क: जवाबदेही और विकास को मिलेगा बल
राज्य सरकार का मानना है कि प्रत्यक्ष चुनाव से पंचायत स्तर पर नेतृत्व को स्पष्ट जनादेश मिलेगा, जिससे जवाबदेही बढ़ेगी और विकास कार्यों में तेजी आएगी। सरकार का कहना है कि इससे सत्ता की खींचतान और जोड़-तोड़ की राजनीति पर भी रोक लगेगी।
राजनीतिक हलकों में तेज हुई चर्चा
इस फैसले के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। सत्तापक्ष का कहना है कि यह फैसला लोकतंत्र को मजबूत करेगा और ग्रामीण जनता को सीधे निर्णय लेने का अधिकार देगा। वहीं विपक्ष ने इस प्रस्ताव को लेकर सवाल उठाए हैं।
विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार इस बदलाव के जरिए पंचायत राजनीति को अधिक केंद्रीकृत करने की कोशिश कर रही है। कुछ नेताओं का कहना है कि प्रत्यक्ष चुनाव से धनबल और बाहुबल का प्रभाव बढ़ सकता है, जिससे स्थानीय संतुलन बिगड़ने की आशंका है।
पंचायत राजनीति पर पड़ेगा दूरगामी असर
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यदि यह कानून लागू होता है, तो पंचायत चुनावों की रणनीति पूरी तरह बदल जाएगी। बड़े राजनीतिक दलों की सीधी दखलअंदाजी बढ़ सकती है, वहीं अध्यक्ष पद के चुनाव अधिक प्रतिस्पर्धी और खर्चीले हो सकते हैं।
सरकार द्वारा कानून का मसौदा तैयार कर विधानसभा में पेश किए जाने की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की संभावना है। कानून पारित होने के बाद मध्यप्रदेश की पंचायत व्यवस्था में यह बदलाव एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।







