कुशीनगर

गन्ने की कटाई मशीन से कराएगी ढाढ़ा चीनी मिल:- करन सिंह

 किसान 4 फुट की दूरी पर गन्ने की बुवाई करें

संवादाता , सुरेश चन्द गाँधी / श्रवण कुमार मद्धेशिया की रिपोर्ट ,

कुशीनगर / हाटा , गन्ने की खेती में मजदूरों की समस्या को देखते हुए अवध शुगर एण्ड एनर्जी लिमिटेड ढाढा हाटा चीनी मिल गन्ने की खेती को कृषि यंत्रों से जोड़ने का मिशन चला रही है। एक तरफ गन्ने की बुवाई ऑटोमेटिक कैन प्लांटर से करा रही है। जिसकी लाइन से लाइन की दूरी 120 सेमी या 4 फीट है । वहीं दूसरे तरफ 4 फीट पर बोए गए गन्ने की कटाई गन्ना काटने की मशीन से कराया जाएगा यह जानकारी हाटा चीनी मिल के अधिशाषी अध्यक्ष श्री करन सिंह ने उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केंद्र पिपराइच की पूर्व सहायक निदेशक ओम प्रकाश गुप्ता को चीनी मिल में दी।
अधिशाषी निदेषक ने ओम प्रकाश गुप्ता को बताया कि मिल क्षेत्र के सभी गन्ना कृषको को ए . टी.एस. पी. के माध्यम से गन्ना कृषि यंत्रो से जोड रही है। जिसका उद्देश्य गन्ने की खेती में मजदूरो की समस्या को दूर करना, गन्ने की खेती मे उत्पादन लागत को कम करना, तथा गन्ने की औसत उपज बढ़ाकर किसानो में खुशहाली लाना है। अधिशाषी निदेशक ने ओम प्रकाश गुप्ता को बताया कि ढाढ़ा चीनी मिल परिक्षेत्र में गन्ना क्षेत्रफल बढ़ाने , चार फीट पर गन्ना बोने से लाभ, पेड़ी गन्ने का वैज्ञानिक प्रबंध, सहफसली खेती , प्रसार करें। जो किसान चार फुट पर गन्ने की बुवाई नहीं किए है उन कृषको को जो किसान आटोमेटिक केन प्लान्टर से गन्ने की बुवाई किए है, उनका गन्ना फसल दिखाया जाए तथा वह किसान उसका लाभ खेत पर बताए । जिससे किसान संतुष्ट हो जाए, जिन किसानों के पास 3 नाली बनाने वाले रेजर है यदि वे चाहते है कि एक रेजर निकाल कर चारफुट की दूरी पर सेट कर दिया जाए तो ढाढ़ा चीनी मिल इसमें सहयोग करेगी। ढाढ़ा चीनी मिल को 40 से 50 लाख कुन्तल गन्ने की कमी है। मिल क्षेत्र मे 41 मशीन गन्ने की बुवाई कर रही है , मशीन से गन्ने की कटाई शीघ्र ही करने जा रहे है। 4 फुट से कम दूरी पर बोए गए गन्ने की कटाई मशीन नही कर सकती हैl
इसको ध्यान में रखकर चार फुट पर गन्ना बोने पर जोर दिया जा रहा है। चीनी मिल के उप महा प्रबंधक गन्ना डी. डी. सिंह ने बताया कि एक आंख का टुकड़ा काट कर एक करोण गन्ने का पौधा तैयार कराया जा रहा है जिसको दिखाया। ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि आज किसान के सामने सबसे बड़ी समस्या है मजदुरो की कमी , खेती में सबसे अधिक लागत मजदूरो पर हो रहा, मिल नही रहे है।

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