
।। सिद्धार्थनगर में 11 दिन में 534 फर्जी हाजिरी:‘एंगल-शिफ्ट’ मास्टरोल ने मनरेगा की पोल खोली, टेडिया में डिजिटल मनरेगा का बड़ा खेल।।
अजीत मिश्रा (खोजी)

सिद्धार्थनगर। शोहरतगढ़ ब्लॉक की टेडिया ग्राम सभा में मनरेगा की डिजिटल प्रणाली का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। 17 से 29 नवंबर के बीच 11 दिनों में 534 मजदूरों की हाजिरी दिखाकर 1,97,570 रुपये की रकम कागजों पर उड़ाई गई।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि हर दिन 49 मजदूरों की फिक्स संख्या मास्टरोल में दर्ज की गई, जबकि साइट पर ग्रामीणों ने केवल 8–10 मजदूर काम करते हुए देखे। यह फर्जीवाड़ा आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि मास्टर रोल को ‘क्लोन’ करने का मॉडल बन गया, जिसने मनरेगा की डिजिटल प्रणाली को सवालों के घेरे में ला दिया।
🔥‘एंगल-शिफ्ट’ मास्टरोल मॉडल—
पड़ताल में पाया गया कि एक ही मजदूर की फोटो अलग एंगल में खींचकर 5-5 मास्टरोल में चिपकाई गई। कुछ मास्टरोल में पुरुषों की फोटो के साथ महिलाओं के नाम, तो कुछ में महिलाओं के नाम पर पुरुषों की फोटो लगाई गई। कुछ एंट्री में जियो लोकेशन वही, फोटो वही, लेकिन नाम हर बार नया। यह तरीका दिखाता है कि मनरेगा की तकनीक भ्रष्टाचारियों के लिए हाईटेक टूल बन चुकी है।
🔥मज़दूरों का ‘प्रोडक्शन यूनिट’ जैसा ट्रेंड—
11 दिनों में हर मास्टरोल में 49 मजदूरों की संख्या बिल्कुल समान रही। ग्रामीणों का कहना है कि साइट पर इतने मजदूर कभी नहीं थे। यानी पेपर पर मजदूरों की भीड़ लगाई गई, जमीन पर सिर्फ कुछ लोग काम करते रहे।
🔥साइट पर काम नहीं, कागजों में ‘मेगा प्रोजेक्ट’—
चकमार्ग निर्माण में दिखाया गया खर्च और मजदूरों की संख्या जमीन पर नजर नहीं आती। ग्रामीणों का कहना है कि “अगर 534 मजदूर वाकई लगे होते तो रास्ता चमचमाता होता।” साइट पर केवल 8–10 मजदूरों से काम पूरा हुआ।
🔥टेडिया मॉडल पूरे मनरेगा के लिए चेतावनी—
यह मामला केवल एक ग्राम का नहीं, बल्कि मनरेगा की डिजिटल प्रणाली को चकमा देने वाला पहला ‘वर्किंग मॉडल’ है। फोटो रिपीट, नाम बदलाओ, मास्टरोल क्लोन जैसी तकनीक अब सिस्टम में नई संस्कृति बन चुकी है।




















