संवाददाता आनंद साहू गरियाबंद,छत्तीसगढ़ लोकेशन/ रायपुर RSS राष्ट्रीय स्वयं सेवक के प्रमुख डॉ मोहन भागवत तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ का दौरा 30 दिसंबर से 1 जनवरी तक छत्तीसगढ़ का करेंगे दौरा मोहन भागवत अभनपुर के सोनपैरी में 31 दिसंबर को होगा भव्य हिन्दू संगम हिन्दू संगम में मुख्य वक्त होंगे मोहन भागवत असंग देव कबीर आश्रम में होगा हिन्दू संगम का आयोजन
अमलीपदर धान खरीदी में भ्रष्टाचार, धमकी और मनमानी पर बड़ी कार्रवाई — पत्रकारों के विरोध, शिकायतों और भूख हड़ताल की चेतावनी के बाद दो समिति प्रबंधक बर्खास्त; शिवकुमार सिन्हा पर गंभीर आरोपों ने हटाने का रास्ता साफ किया धान खरीदी व्यवस्था में लगातार सामने आ रही गड़बड़ियों, किसानों की परेशानी और समिति प्रबंधकों की मनमानी के खिलाफ आखिरकार जिला प्रशासन सख्त हो गया है। लंबे समय से चली आ रही शिकायतों, पत्रकारों द्वारा लगातार विरोध, कई ज्ञापनों और भूख हड़ताल की चेतावनी के बाद प्रशासन ने दो बड़े प्रबंधकों पर निर्णायक कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से मुक्त कर दिया है। यह कार्रवाई खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 की तैयारियों से पहले की गई है, ताकि आने वाले सीजन में गड़बड़ियों पर पूरी तरह रोक लग सके। पहली कार्रवाई धवलपुर सहकारी समिति के डाटा एंट्री ऑपरेटर ऋषिकांत मोहरे पर की गई है, जिन्हें शासन की अनिवार्य धान खरीदी जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया के दौरान बिना अनुमति हड़ताल पर जाने, लगातार अनुपस्थित रहने और कई बार चेतावनी मिलने के बावजूद कार्य पर उपस्थित न होने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। लेकिन सबसे गंभीर और चर्चित मामला मुड़गेलमाल सहकारी समिति के प्रबंधक शिवकुमार सिन्हा का रहा, जिनके खिलाफ पिछले कई महीनों से भारी विरोध व गंभीर शिकायतें चल रही थीं। उन पर आरोप थे कि— अमलीपदर के पत्रकारों को जूता-चप्पल दिखाकर अपमानित करना, धमकाना और जान से मारने की धमकी देना। पत्रकारों ने इस घटना की शिकायत उप संचालक, कलेक्टर, सांसद, और उच्च अधिकारियों को लिखित में की थी, जिसे बेहद गंभीर माना गया। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार किसानों के पट्टे (दस्तावेज) अपने पास रोककर गलत गतिविधियों में उपयोग करना। उड़ीसा से अवैध धान मंगवाकर स्थानीय किसानों के नाम पर खरीदी में डालना और इससे बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ कमाना। यह शिकायतें विभाग तक पहुंच चुकी थीं और लगातार जांच के दायरे में थीं। किसानों का आरोप था कि समिति में काम बिना पैसे लिए नहीं होता था और प्रबंधक की मनमानी के कारण असली किसानों को धान बेचने में भारी परेशानी होती थी। इन आरोपों के बाद गरियाबंद जिले के पत्रकारों ने एकजुट होकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था। उन्होंने साफ चेतावनी दी थी कि यदि शिवकुमार सिन्हा को पद से मुक्त नहीं किया गया, तो जिले के सभी पत्रकार सामूहिक भूख हड़ताल पर बैठेंगे। यह मुद्दा पूरे जिले में चर्चा का केंद्र बन गया था। इन सभी पहलुओं को गंभीरता से लेते हुए सहायक आयुक्त, सहकारिता, गरियाबंद ने जांच के बाद शिवकुमार सिन्हा को कर्तव्य में गंभीर चूक, नियम उल्लंघन, अनियमितता और अनुचित बर्ताव के आधार पर पद से हटा दिया। जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि धान खरीदी में किसी भी प्रकार की लापरवाही, भ्रष्टाचार या नियमों की अनदेखी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। किसानों के हित सर्वोपरि हैं और पत्रकारों की सुरक्षा, शिकायतें तथा उनके उठाए सवाल पूर्णतः उचित माने गए। यह कार्रवाई न केवल प्रशासन की सख्ती का संकेत देती है, बल्कि आने वाले खरीदी सीजन के लिए एक बड़ा संदेश भी है — कि भ्रष्टाचार, धमकी और मनमानी का दौर अब खत्म होगा। गरियाबंद जिला से आनंद साहू की खबर
छत्तीसगढ़

अमलीपदर धान खरीदी में भ्रष्टाचार, धमकी और मनमानी पर बड़ी कार्रवाई — पत्रकारों के विरोध, शिकायतों और भूख हड़ताल की चेतावनी के बाद दो समिति प्रबंधक बर्खास्त; शिवकुमार सिन्हा पर गंभीर आरोपों ने हटाने का रास्ता साफ किया धान खरीदी व्यवस्था में लगातार सामने आ रही गड़बड़ियों, किसानों की परेशानी और समिति प्रबंधकों की मनमानी के खिलाफ आखिरकार जिला प्रशासन सख्त हो गया है। लंबे समय से चली आ रही शिकायतों, पत्रकारों द्वारा लगातार विरोध, कई ज्ञापनों और भूख हड़ताल की चेतावनी के बाद प्रशासन ने दो बड़े प्रबंधकों पर निर्णायक कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से मुक्त कर दिया है। यह कार्रवाई खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 की तैयारियों से पहले की गई है, ताकि आने वाले सीजन में गड़बड़ियों पर पूरी तरह रोक लग सके। पहली कार्रवाई धवलपुर सहकारी समिति के डाटा एंट्री ऑपरेटर ऋषिकांत मोहरे पर की गई है, जिन्हें शासन की अनिवार्य धान खरीदी जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया के दौरान बिना अनुमति हड़ताल पर जाने, लगातार अनुपस्थित रहने और कई बार चेतावनी मिलने के बावजूद कार्य पर उपस्थित न होने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। लेकिन सबसे गंभीर और चर्चित मामला मुड़गेलमाल सहकारी समिति के प्रबंधक शिवकुमार सिन्हा का रहा, जिनके खिलाफ पिछले कई महीनों से भारी विरोध व गंभीर शिकायतें चल रही थीं। उन पर आरोप थे कि— अमलीपदर के पत्रकारों को जूता-चप्पल दिखाकर अपमानित करना, धमकाना और जान से मारने की धमकी देना। पत्रकारों ने इस घटना की शिकायत उप संचालक, कलेक्टर, सांसद, और उच्च अधिकारियों को लिखित में की थी, जिसे बेहद गंभीर माना गया। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार किसानों के पट्टे (दस्तावेज) अपने पास रोककर गलत गतिविधियों में उपयोग करना। उड़ीसा से अवैध धान मंगवाकर स्थानीय किसानों के नाम पर खरीदी में डालना और इससे बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ कमाना। यह शिकायतें विभाग तक पहुंच चुकी थीं और लगातार जांच के दायरे में थीं। किसानों का आरोप था कि समिति में काम बिना पैसे लिए नहीं होता था और प्रबंधक की मनमानी के कारण असली किसानों को धान बेचने में भारी परेशानी होती थी। इन आरोपों के बाद गरियाबंद जिले के पत्रकारों ने एकजुट होकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था। उन्होंने साफ चेतावनी दी थी कि यदि शिवकुमार सिन्हा को पद से मुक्त नहीं किया गया, तो जिले के सभी पत्रकार सामूहिक भूख हड़ताल पर बैठेंगे। यह मुद्दा पूरे जिले में चर्चा का केंद्र बन गया था। इन सभी पहलुओं को गंभीरता से लेते हुए सहायक आयुक्त, सहकारिता, गरियाबंद ने जांच के बाद शिवकुमार सिन्हा को कर्तव्य में गंभीर चूक, नियम उल्लंघन, अनियमितता और अनुचित बर्ताव के आधार पर पद से हटा दिया। जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि धान खरीदी में किसी भी प्रकार की लापरवाही, भ्रष्टाचार या नियमों की अनदेखी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। किसानों के हित सर्वोपरि हैं और पत्रकारों की सुरक्षा, शिकायतें तथा उनके उठाए सवाल पूर्णतः उचित माने गए। यह कार्रवाई न केवल प्रशासन की सख्ती का संकेत देती है, बल्कि आने वाले खरीदी सीजन के लिए एक बड़ा संदेश भी है — कि भ्रष्टाचार, धमकी और मनमानी का दौर अब खत्म होगा। गरियाबंद जिला से आनंद साहू की खबर

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धनोरा की दर्दनाक त्रासदी: तीन दिनों में एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत
गरियाबंद

धनोरा की दर्दनाक त्रासदी: तीन दिनों में एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत

लोकेशन _अमलीपदर धनोरा की दर्दनाक त्रासदी: तीन दिनों में एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत अंधविश्वास, झोलाछाप और…
न्याय की लड़ाई अब गांधी मैदान में — मुरहा नागेश फिर भूख हड़ताल पर चार माह पहले कलेक्ट्रेट क़े सामने धरने बैठे थे,प्रशासनिक उदासीनता क़े चलते फिर मजबूर गरियाबंद-:अमलीपदर के ग्रामीण मुरहा नागेश एक बार फिर अपने परिवार सहित गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। प्रशासन से बार-बार गुहार लगाने और आश्वासन मिलने के बावजूद उनकी पुश्तैनी जमीन का हक आज तक वापस नहीं मिला है। अब न्याय की आस में थक चुके मुरहा नागेश ने कहा है कि “जब तक जमीन हमें वापस नहीं मिलती, तब तक हम मैदान नहीं छोड़ेंगे।” चार माह पहले कलेक्ट्रेट में भी दी थी चेतावनी याद दिला दें कि 14 जुलाई 2025 को मुरहा नागेश और उनके परिजन गरियाबंद कलेक्ट्रेट के सामने दिनभर भूख हड़ताल पर बैठे थे। उस समय स्थानीय प्रशासन ने मौके पर पहुँचकर आंदोलन समाप्त कराने की कोशिश की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी जमीन की समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा, तथा उनकी पुश्तैनी जमीन उन्हें वापस दिलाई जाएगी। प्रशासन के वादे पर भरोसा करते हुए मुरहा नागेश्वर ने उस दिन अपनी हड़ताल समाप्त कर दी थी। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी उनकी जमीन का मामला जस का तस बना हुआ है। *प्रशासनिक उदासीनता से बढ़ी नाराजगी* मुरहा नागेश ने बताया कि उन्होंने अब तक कई बार तहसील और राजस्व विभाग के अधिकारियों को आवेदन दिया, पर हर बार सिर्फ़ “जल्द समाधान होगा” का जवाब मिला। उनका कहना है कि “हम गरीब लोग हैं, हमारे पास लड़ाई लड़ने के साधन नहीं, लेकिन जब तक अपनी जमीन वापस नहीं मिलती, तब तक मैदान में बैठे रहेंगे।” ग्रामीणों का कहना है कि मुरहा परिवार की जमीन को लेकर वर्षों से विवाद चला आ रहा है। प्रशासन ने समस्या सुलझाने का भरोसा तो दिया, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। *गांधी मैदान बना संघर्ष का केंद्र* आज सुबह से मुरहा नागेश अपने परिवार के साथ गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनके साथ क्षेत्र के ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता भी समर्थन में पहुँचे। हड़ताल स्थल पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस बल भी मौके पर मौजूद है। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन जब तक जमीन वापस नहीं दिलाता, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की मांग की है, ताकि गरीब परिवार को फिर बार-बार धरने की मजबूरी न झेलनी पड़े। *ग्रामीणों की भावनाएँ* गाँव के बुजुर्गों ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस पूरे वर्ग की लड़ाई है जो आज भी अपने हक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। “कलेक्ट्रेट से लेकर गांधी मैदान तक का यह संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि गरीबों की आवाज़ अब भी सुनी नहीं जा रही,” ग्रामीणों ने कहा। *मुख्य बिंदु* 14 जुलाई को कलेक्ट्रेट में पहली भूख हड़ताल प्रशासन ने जमीन दिलाने का दिया था आश्वासन चार महीने बीतने के बाद भी नहीं हुआ कोई समाधान अब गांधी मैदान में परिवार सहित फिर भूख हड़ताल पर बैठे मुरहा नागेश ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल न्याय की मांग की
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न्याय की लड़ाई अब गांधी मैदान में — मुरहा नागेश फिर भूख हड़ताल पर चार माह पहले कलेक्ट्रेट क़े सामने धरने बैठे थे,प्रशासनिक उदासीनता क़े चलते फिर मजबूर गरियाबंद-:अमलीपदर के ग्रामीण मुरहा नागेश एक बार फिर अपने परिवार सहित गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। प्रशासन से बार-बार गुहार लगाने और आश्वासन मिलने के बावजूद उनकी पुश्तैनी जमीन का हक आज तक वापस नहीं मिला है। अब न्याय की आस में थक चुके मुरहा नागेश ने कहा है कि “जब तक जमीन हमें वापस नहीं मिलती, तब तक हम मैदान नहीं छोड़ेंगे।” चार माह पहले कलेक्ट्रेट में भी दी थी चेतावनी याद दिला दें कि 14 जुलाई 2025 को मुरहा नागेश और उनके परिजन गरियाबंद कलेक्ट्रेट के सामने दिनभर भूख हड़ताल पर बैठे थे। उस समय स्थानीय प्रशासन ने मौके पर पहुँचकर आंदोलन समाप्त कराने की कोशिश की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी जमीन की समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा, तथा उनकी पुश्तैनी जमीन उन्हें वापस दिलाई जाएगी। प्रशासन के वादे पर भरोसा करते हुए मुरहा नागेश्वर ने उस दिन अपनी हड़ताल समाप्त कर दी थी। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी उनकी जमीन का मामला जस का तस बना हुआ है। *प्रशासनिक उदासीनता से बढ़ी नाराजगी* मुरहा नागेश ने बताया कि उन्होंने अब तक कई बार तहसील और राजस्व विभाग के अधिकारियों को आवेदन दिया, पर हर बार सिर्फ़ “जल्द समाधान होगा” का जवाब मिला। उनका कहना है कि “हम गरीब लोग हैं, हमारे पास लड़ाई लड़ने के साधन नहीं, लेकिन जब तक अपनी जमीन वापस नहीं मिलती, तब तक मैदान में बैठे रहेंगे।” ग्रामीणों का कहना है कि मुरहा परिवार की जमीन को लेकर वर्षों से विवाद चला आ रहा है। प्रशासन ने समस्या सुलझाने का भरोसा तो दिया, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। *गांधी मैदान बना संघर्ष का केंद्र* आज सुबह से मुरहा नागेश अपने परिवार के साथ गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनके साथ क्षेत्र के ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता भी समर्थन में पहुँचे। हड़ताल स्थल पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस बल भी मौके पर मौजूद है। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन जब तक जमीन वापस नहीं दिलाता, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की मांग की है, ताकि गरीब परिवार को फिर बार-बार धरने की मजबूरी न झेलनी पड़े। *ग्रामीणों की भावनाएँ* गाँव के बुजुर्गों ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस पूरे वर्ग की लड़ाई है जो आज भी अपने हक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। “कलेक्ट्रेट से लेकर गांधी मैदान तक का यह संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि गरीबों की आवाज़ अब भी सुनी नहीं जा रही,” ग्रामीणों ने कहा। *मुख्य बिंदु* 14 जुलाई को कलेक्ट्रेट में पहली भूख हड़ताल प्रशासन ने जमीन दिलाने का दिया था आश्वासन चार महीने बीतने के बाद भी नहीं हुआ कोई समाधान अब गांधी मैदान में परिवार सहित फिर भूख हड़ताल पर बैठे मुरहा नागेश ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल न्याय की मांग की

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गरियाबंद जंगल में गूंजी गोलियों की तड़तड़ाहट — सेम्हरा पहाड़ में पुलिस और नक्सलियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ सीतानदी–नगरी कमेटी के नक्सली आए पुलिस के निशाने पर, ई-30 टीम की सटीक कार्रवाई से छूटे नक्सलियों के पसीने गरियाबंद-:जिले के मैनपुर क्षेत्र में एक बार फिर पुलिस और नक्सलियों के बीच आमना-सामना हुआ है। जानकारी के अनुसार मैनपुर थाना क्षेत्र के दर्रीपारा अंतर्गत ग्राम सेम्हरा पहाड़ के घने जंगलों में मंगलवार की सुबह जिला पुलिस की ई-30 टीम और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई। जिले में सक्रिय सीतानदी–नगरी एरिया कमेटी के 6 से 8 सशस्त्र नक्सलियों की मौजूदगी की गुप्त सूचना पर पुलिस की ई-30 टीम सर्चिंग अभियान पर निकली थी। जैसे ही जवान पहाड़ी इलाके में आगे बढ़े, अचानक घात लगाए बैठे नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस पार्टी ने भी तुरंत मोर्चा संभालते हुए जवाबी कार्रवाई में लगातार गोलियां दागीं, जिससे पूरा इलाका गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा। पुलिस की तगड़ी जवाबी कार्रवाई से घबराकर नक्सली अपना समान, हथियार और सामग्री मौके पर छोड़कर जंगल की ओर भाग निकले। सूत्रों के मुताबिक, घटनास्थल से नक्सली सामग्री बरामद की जा रही है। पुलिस ने आसपास के इलाकों को घेरते हुए सर्चिंग ऑपरेशन तेज कर दिया है ताकि फरार नक्सलियों को पकड़ा जा सके। गरियाबंद पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में चल रहे इस अभियान में सुरक्षाबल पूरी मुस्तैदी से डटे हुए हैं। जिले के सीमावर्ती इलाकों में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है, ताकि नक्सलियों की किसी भी गतिविधि को रोका जा सके। यह मुठभेड़ इस बात का संकेत है कि गरियाबंद पुलिस लगातार नक्सल मोर्चे पर दबदबा बनाए हुए है और नक्सलियों का संगठन अब बिखराव की स्थिति में है। स्थान: सेम्हरा पहाड़, थाना मैनपुर, जिला गरियाबंद
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गरियाबंद जंगल में गूंजी गोलियों की तड़तड़ाहट — सेम्हरा पहाड़ में पुलिस और नक्सलियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ सीतानदी–नगरी कमेटी के नक्सली आए पुलिस के निशाने पर, ई-30 टीम की सटीक कार्रवाई से छूटे नक्सलियों के पसीने गरियाबंद-:जिले के मैनपुर क्षेत्र में एक बार फिर पुलिस और नक्सलियों के बीच आमना-सामना हुआ है। जानकारी के अनुसार मैनपुर थाना क्षेत्र के दर्रीपारा अंतर्गत ग्राम सेम्हरा पहाड़ के घने जंगलों में मंगलवार की सुबह जिला पुलिस की ई-30 टीम और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई। जिले में सक्रिय सीतानदी–नगरी एरिया कमेटी के 6 से 8 सशस्त्र नक्सलियों की मौजूदगी की गुप्त सूचना पर पुलिस की ई-30 टीम सर्चिंग अभियान पर निकली थी। जैसे ही जवान पहाड़ी इलाके में आगे बढ़े, अचानक घात लगाए बैठे नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस पार्टी ने भी तुरंत मोर्चा संभालते हुए जवाबी कार्रवाई में लगातार गोलियां दागीं, जिससे पूरा इलाका गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा। पुलिस की तगड़ी जवाबी कार्रवाई से घबराकर नक्सली अपना समान, हथियार और सामग्री मौके पर छोड़कर जंगल की ओर भाग निकले। सूत्रों के मुताबिक, घटनास्थल से नक्सली सामग्री बरामद की जा रही है। पुलिस ने आसपास के इलाकों को घेरते हुए सर्चिंग ऑपरेशन तेज कर दिया है ताकि फरार नक्सलियों को पकड़ा जा सके। गरियाबंद पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में चल रहे इस अभियान में सुरक्षाबल पूरी मुस्तैदी से डटे हुए हैं। जिले के सीमावर्ती इलाकों में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है, ताकि नक्सलियों की किसी भी गतिविधि को रोका जा सके। यह मुठभेड़ इस बात का संकेत है कि गरियाबंद पुलिस लगातार नक्सल मोर्चे पर दबदबा बनाए हुए है और नक्सलियों का संगठन अब बिखराव की स्थिति में है। स्थान: सेम्हरा पहाड़, थाना मैनपुर, जिला गरियाबंद

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