
रिपोर्टर विनोद कुमार
सीतापुर। पहलगाम हमले के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्ते तल्ख हो चुके हैं। पाकिस्तानी नागरिकों को वापस उनके मुल्क भेजने की कवायद शुरू हो गई है। पाकिस्तानी नागरिकों को 29 अप्रैल तक देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया गया है। इस बीच सीतापुर आए तीन लापता पाकिस्तानी नागरिकों की फाइल भी खोली गई हैं। ये तीनों नागरिक 1960 से 1963 के बीच सीतापुर अपने रिश्तेदारों से मिलने आए थे।
इसके बाद अपने मुल्क वापस जाने की सूचना देकर चले भी गए। हालांकि आज तक वह अपने मुल्क वापस नहीं पहुंचे हैं। इन तीनों के लिए बार-बार गोपनीय जवाब तलब भी होता है लेकिन किसी जिम्मेदार अधिकारी के पास इसका कोई जवाब ही नहीं है। सब इसी सवाल का जवाब ढूंढने में लगे हैं कि सीतापुर से वापसी के बाद अगर ये तीनों पाकिस्तान नहीं पहुंचे तो फिर यह कहां हैं। सूत्रों के अनुसार खुफिया विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद इनका पता नहीं चल पा रहा है। बस इनकी फाइल विदेश मंत्रालय से चल रही है।
सबीहा, अनवर जहां संग मो. बशीर का नहीं मिला सुराग
वर्ष 1960 में पाकिस्तान निवासी सबीहा सीतापुर स्थित स्टेशन मार्ग पर एक रिश्तेदार के घर आई थीं। इन्होंने वापस जाने की सूचना दी लेकिन इसके बाद से लापता हैं। 1960 में पाकिस्तान के ही मो. बशीर भी सीतापुर आए। गोपनीय कार्यालय में अपनी वापसी की तारीख बताकर चले गए। बाद में पता चला कि यह अपने मुल्क नहीं पहुंचे। इसी तरह अनवर जहां भी 1963 में लहरपुर कस्बे में एक रिश्तेदारी में आईं। उसके बाद उनका कुछ पता ही नहीं चला।
आज तक बार्डर पर नहीं दर्ज है उनकी वापसी की सूचना
प्रक्रिया के अनुसार पाकिस्तान के नागरिक को भारत आते व जाते वक्त संबंधित अधिकारियों को सूचना देनी होती है। इसमें जिस जिले में वह जा रहे हैं। वहां किसके घर रुकेंगे संग कई प्रकार की सूचनाएं देनी होती हैं। इसके बाद संबंधित जिले का खुफिया विभाग अलर्ट रहता है। इन नागरिकों को खुफिया विभाग के पास पहुंचकर अपना नाम, पता, रिश्तेदार, उसका पता और रुकने की अवधि के बारे में बताना होता है। साथ ही वापस जाते समय भी सूचना देनी होती है। सूत्रों के अनुसार यह तीनों अटारी बॉर्डर क्रॉस करके भारत आए थे। बॉर्डर की चेक पोस्ट पर उनके बॉर्डर क्रॉस करने की सूचना आज तक उपलब्ध नहीं है। बस इनकी फाइलें विदेश मंत्रालय से लेकर खुफिया विभाग में घूम रही हैं।





