उत्तर प्रदेशबस्ती

बस्ती स्वास्थ्य विभाग में गाड़ियों का फर्जीवाड़ा, जांच में सामने आए चौंकाने वाले खुलासे

अजीत मिश्रा (खोजी)

।। बस्ती स्वास्थ्य विभाग में गाड़ियों का फर्जीवाड़ा, जांच में सामने आए चौंकाने वाले खुलासे।।

सितम्बर 1, 2025

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। एक आरटीआई और सत्यापन के आधार पर एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसमें प्राइवेट हायर किए गए वाहनों की सूची और उनकी वास्तविक आरसी डिटेल्स में भारी अंतर पाया गया है।

इस प्रकरण की शिकायत पूर्व ब्लॉक प्रमुख और कप्तानगंज विधायक प्रतिनिधि गुलाब चंद्र सोनकर द्वारा की गई है। उन्होंने जिलाधिकारी (डीएम) रवीश गुप्ता को एक शिकायती पत्र सौंपा, जिसमें आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्षों से किए जा रहे वाहन हायरिंग में भारी भ्रष्टाचार और सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है।

👉मामले की शुरुआत कैसे हुई?

पूर्व ब्लॉक प्रमुख गुलाब चंद्र सोनकर ने बताया कि उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से आरटीआई के तहत वर्षों में हायर की गई गाड़ियों की सूची मांगी। जब यह सूची उन्हें उपलब्ध कराई गई तो उन्होंने इसे आरटीओ कार्यालय से वेरीफाई कराया।

⭐जांच में यह सामने आया कि:

👉कुछ वाहन जो बोलेरो दिखाए गए थे, वास्तव में ऑटो या मोटरसाइकिल हैं।

👉कई वाहनों के पास परमिट ही नहीं था, फिर भी उन्हें विभाग में हायर किया गया।

👉एक ही व्यक्ति को वर्षों से वाहन सप्लाई का ठेका दिया जा रहा है।

⭐ प्राप्त गाड़ियों की विवादित सूची–

१. UP 45 AT 6155 बोलेरो ऑटो रिक्शा

२. UP 51 AF 7804 कार मोटरसाइकिल

३. UP 51 AB 8313 बोलेरो मोटरसाइकिल

अन्य 7 वाहन परमिट नहीं बिना अनुमति परिचालन

👉इतना बड़ा अंतर कैसे हुआ?

जब यह सूची आरटीओ कार्यालय में चेक की गई, तो यह स्पष्ट हुआ कि:

⭐कई गाड़ियों की RC में दर्ज श्रेणी और विभागीय सूची में दर्ज श्रेणी अलग है।

⭐बिना परमिट के गाड़ियाँ सालों से स्वास्थ्य विभाग में चलाई जा रही थीं।

⭐गाड़ियों के मालिकों की पृष्ठभूमि और चयन प्रक्रिया भी संदिग्ध है।

👉डीएम ने दिए जांच के आदेश— “जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्रिस्तरीय जांच कमेटी का गठन कर दिया है। इसकी अध्यक्षता मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) करेंगे”।

👉जांच समिति की जिम्मेदारियां:

⭐वाहन हायरिंग की वर्षवार जांच

⭐आरटीओ रिकॉर्ड से सत्यापन

⭐बिना परमिट वाले वाहनों पर कार्यवाई

⭐वर्षों से एक ही व्यक्ति को ठेका देने की जांच। 

DM रवीश गुप्ता ने कहा:“शिकायत गंभीर है। अगर सीएमओ कार्यालय और आरटीओ के रिकॉर्ड में अंतर है, तो निश्चित ही इसे गंभीरता से लिया जाएगा। जांच रिपोर्ट के बाद दोषियों पर कार्यवाई की जाएगी।”

⭐सीएमओ कार्यालय की सफाई

सीएमओ कार्यालय ने अपनी तरफ से सफाई देते हुए कहा:

“कुछ वाहनों के नंबरों में 1–2 अक्षरों का अंतर है जिससे यह भ्रम उत्पन्न हुआ।”

“जिन वाहनों को ऑटो या बाइक बताया जा रहा है, हो सकता है वो विभिन्न संस्करणों में हों या ट्रांसफर हो गए हों।”

“फिर भी, विभाग जांच में सहयोग कर रहा है।”

⭐ तकनीकी विशेषज्ञों से बात की तो उन्होंने कहा:

“वाहन नंबर में छोटे बदलाव या भ्रम की संभावना होती है, लेकिन इतनी बड़ी गड़बड़ियां केवल गलती नहीं हो सकतीं, यह सुनियोजित लापरवाही या भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती हैं।”

👉एक ही सप्लायर को वर्षों से ठेका, क्यों?

शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि एक ही व्यक्ति को लगातार कई वर्षों से विभागीय गाड़ियों की आपूर्ति का ठेका मिल रहा है।

संभावित गड़बड़ियां:

⭐टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं

⭐भाई-भतीजावाद या सेटिंग?

 👉सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि:

“विभागीय अधिकारियों और सप्लायर के बीच लंबे समय से ‘समझौता’ चल रहा है, जिससे वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं को अवसर ही नहीं मिल पाता।“

बस्ती जिले के नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह मामला केवल गाड़ियों का नहीं है, बल्कि यह जनता के पैसों की खुली लूट है।

अगर:

टू-व्हीलर को फोर-व्हीलर दिखाकर भुगतान लिया गया। बिना परमिट गाड़ियों से सरकारी सेवा ली गई। तो यह सिर्फ अनियमितता नहीं, आपराधिक कृत्य है।

RTI से हुआ खुलासा – पारदर्शिता की जीत। इस पूरे मामले में यह बात सबसे खास रही कि शिकायतकर्ता ने सूचनाधिकार कानून (RTI) का सहारा लेकर मामला उजागर किया।

👉RTI में मांगी गई जानकारी:

⭐2022, 2023, 2024 की वाहन हायरिंग सूची

⭐टेंडर प्रक्रिया के दस्तावेज़

⭐भुगतान रसीदें

⭐परमिट की प्रतियां

लेकिन विभाग द्वारा अभी तक पूर्ण रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया है।

“अगर सब कुछ सही है, तो रिकॉर्ड छिपाया क्यों जा रहा है?”

👉प्रशासनिक विशेषज्ञों का कहना है:

यह मामला लोक लेखा समिति (PAC) तक जाना चाहिए। अगर दोष सिद्ध होते हैं तो आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए। यह मामला दंडात्मक और वित्तीय दोनों स्तरों पर कार्रवाई योग्य है।

⭐डीएम स्तर पर ओपन रिपोर्टिंग की जाए।

⭐दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो।

⭐भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज हो, आम जनता को पारदर्शी रिपोर्टिंग उपलब्ध कराई जाए।

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