
वंदेभारतलाइवटीव न्युज/ समृद्धभारत ई समाचार पत्र
रविवार 21 दिसंबर 2025, छत्तीसगढ़-
===========> प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ प्रदेश में पहली कक्षा से लेकर नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम का तरीका बदल दिया गया है। जानकारी के अनुसार अब तिमाही और छमाही परीक्षा में प्राप्त अंक वार्षिक परीक्षा के परिणाम में जोड़े जायेंगे। इसका मतलब है कि तिमाही छमाही परीक्षा में कम अंक आने पर अब वार्षिक परीक्षा का परीक्षा परिणाम प्रभावित होगा। प्राप्त जानकारी अनुसार यह व्यवस्था वर्तमान मे चालू शिक्षा सत्र से ही लागू भी कर दिया गया है। जानकारी अनुसार यह वयवसथा बोर्ड परीक्षा में लागू नहीं होगा। शिक्षा विभाग ने चालू शिक्षा सत्र से परीक्षा परिणाम का यह नया तरीका लागू कर दिया है। जानकारी अनुसार छत्तीसगढ प्रदेश के सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों को रिजल्ट के इस नये तरीके के संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि तिमाही और छमाही मे टेस्ट विद्यार्थियों के स्कूल शुरू होने के तीन और छह महिनों की तैयारियों को परखने के लिए रखे जाते हैं। मौजूदा तरीके में अधिकतर स्कूलों में परीक्षा औपचारिकता निभाने भर के लिए ली जाती है। अब तिमाही और छमाही परीक्षा के अंक वार्षिक परीक्षा परिणाम में जोड़ने के इस निर्णय से दोनो ही परीक्षाओं को लेकर छात्रों के मन मे गंभीरता आयेगी जिससे पढ़ाई का स्तर भी सुधर सकता है। इस नई व्यवस्था के अनुसार पहली कक्षा , दूसरी, तीसरी, चौंथी कक्षा में तिमाही और छमाही परीक्षा में प्रत्येक विषय में प्राप्त अंकों का 20-20 प्रतिशत अधिभार स्वरूप जोड़ा जायेगा। मतलब कि तिमाही और छमाही का 20-20 प्रतिशत और वार्षिक परीक्षा का 60% मिलाकर ही वार्षिक परीक्षाफल तैयार किया जायेगा। इसी तरस से कक्षा पांचवीं और आठवीं की वार्षिक परीक्षा में तिमाही और छमाही परीक्षा के प्रत्येक विषय में प्राप्त अंकों का तीस फीसदी अधिभार के रूप में जोड़ा जायेगा। मतलब कि छमाही का तीस फीसदी और वार्षिक का सत्तर फीसदी मिलाकर वार्षिक परीक्षाफल तैयार किया जायेगा। मालूम हो कि छत्तीसगढ प्रदेश में वर्ष 2010 के पूर्व भी कुछ शिक्षा सत्रों मे वार्षिक परीक्षाफल तैयार करने का यह तरीका लागू किया गया था। उसी दौरान आरटीई मतलब शिक्षा का अधिकार कानून 2010 मे लागू किया गया था। इसमे पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अनुत्तीर्ण करने का नियम भो बदल दिया गया था। पहली से आठवीं कक्षा तक सभी विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से पास करने का नियम बना दिया गया था। इसके बाद से मूल्यांकन का तरीका बदल दिया गया। और इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं के लिए भी छमाही परीक्षा के प्रत्येक विषय मे प्राप्त अंकों का तीस फीसदी अधिभार के रूप में जोड़ने का फैसला लिया गया। परंतु अभी इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया जा रहा है। इस विषय मे माध्यमिक शिक्षा मंडल से राय मांगी गई है। शिक्षा मंडल से अनुमति प्राप्त होने के बाद ही नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा के लिए फैसला किया जा सकता है।










