
पत्रकारिता का गिरता स्तर: एक गंभीर मुद्दा
आज के दौर में पत्रकारिता, जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, कुछ असामाजिक तत्वों की हरकतों की वजह से बदनाम हो रही है। अवैध वसूली और खबरों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने जैसी घटनाएं पत्रकारिता के मूल उद्देश्य को धूमिल कर रही हैं।
अवैध वसूली और बदनामी का खेल
कुछ लोग पत्रकारिता का मुखौटा पहनकर अवैध वसूली का धंधा चला रहे हैं। अगर उनकी मांग पूरी न हो, तो वे खबरों को तोड़-मरोड़कर प्रकाशित करते हैं या सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दबाव बनाते हैं। सोशल मीडिया के युग में यह समस्या और भी बढ़ गई है, जहां लोग बिना सत्यापन के खबरें फैलाकर धोखाधड़ी कर रहे हैं।
शाहजहांपुर का उदाहरण
थाना खुटार, शाहजहांपुर में हाल ही में ऐसा ही मामला सामने आया। राजस्व विभाग से अनुमति लेने के बाद भी मिट्टी निकालने वालों को अवैध खनन के आरोप में फंसाया गया। कुछ तथाकथित पत्रकारों ने झूठी खबरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बदनाम करने की कोशिश की।
पत्रकारिता का मूल उद्देश्य और नैतिकता
पत्रकारिता का काम सच्चाई को उजागर करना और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना है। लेकिन, जब पत्रकार खुद अवैध कामों में शामिल हो जाएं, तो यह समाज के लिए चिंता का विषय बन जाता है।
समस्या के समाधान के लिए प्रयास
- मूल्यों और नैतिकता पर जोर: पत्रकारों को उनके काम की जिम्मेदारी और नैतिकता समझाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाए।
- कानूनी कार्रवाई: अवैध गतिविधियों में शामिल तथाकथित पत्रकारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
- पारदर्शिता: सोशल मीडिया पर खबरें पोस्ट करने वालों की जांच के लिए एक नियामक संस्था का गठन किया जाए।
- शिक्षा और जागरूकता: पत्रकारिता के छात्रों को जिम्मेदार और ईमानदार पत्रकार बनने के लिए प्रेरित किया जाए।
सच्चाई और ईमानदारी ही है पत्रकारिता का आधार
पत्रकारिता को अपने मूल उद्देश्य की ओर लौटना होगा। यह केवल खबरें लिखने या दिखाने का पेशा नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी है। अवैध गतिविधियों और गुमराह करने वाली खबरों से बचना ही पत्रकारिता के स्तर को ऊंचा उठा सकता है।
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एलिक सिंह
संपादक, वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़
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