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एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन की जानिब से मनाए जा रहे जश्ने आमदे रसूल हफ्ता का छठा प्रोग्राम घुसयाना चौराहा चमनगंज मे आयोजित किया गया

ज़ुल्म के खिलाफ ना बोलना भी जालिम मे शुमारी होती है।
हक मारने वाले को जगह जहन्नुम की आग है

कानपुर आज एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन की जानिब से मनाए जा रहे जश्ने आमदे रसूल हफ्ता का छठा प्रोग्राम घुसयाना चौराहा चमनगंज मे आयोजित किया गया।
जिसकी सदारत मुहाफिज़ ए नामूस रिसालत, जौहर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात ज़फर हाशमी ने की निज़ामत अच्छे मियाँ हशमती ने की।
घड़ी वाली मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ व कारी माज़ अहमद सलामी ने प्रोग्राम की कयादत की मुकर्रिर ए खुसुसी हज़रत मौलाना मोहम्मद हस्सान कादरी नक्शबंदी रहे।
प्रोग्राम के कन्वीनर पूर्व पार्षद प्रत्याशी नफीस अहमद रहे। खिताब फरमाते हुए हज़रत अल्लामा मौलाना मोहम्मद हस्सान कादरी नक्शबंदी ने कहा कि जब अल्लाह तआला किसी ज़ालिम की पकड़ फरमाता है तो फिर उसे बचाने वाला कोई नहीं होता
यक़ीनन ज़ुल्म एक एैसा बद तरीन अमल है कि जिससे झगड़े व फसादात जन्म लेते हैं
लोगों की इज़्ज़तों का तहफ्फुज़ नहीं रहता
मुआशिरे का अम्न व सुकून तबाह हो जाता है
लोग बग़ावत और सरकशी पर उतर आते हैं और दूसरों के हुक़ूक़ ज़ाए करने लगते हैं
दीने इस्लाम चूँकि इंसानी हुक़ूक़ का बड़ा मुहाफिज़ और मुआशिरे में अम्न व सुकून क़ाएम रखने वाला मज़हब है इसीलिये इस्लाम ने अपने मानने वालों को हर उस काम से रोका है जो बंदों के हुक़ूक़ के पामाल करने का सबब बनता हो
इन कामों में ज़ुल्म का किरदार चूँकि दूसरे अफआल से कहीं ज़्यादा है इसलिये इस्लाम ने ज़ुल्म के ख़ातिमे के लिये भी इंतिहाई इक़दामात किये हैं ताकि लोगों के हुक़ूक़ महफूज़ रहें और वह अम्न व सुकून की ज़िंदगी बसर कर सकें
उन इक़दामात में से एक इक़दाम यह है कि जहाँ किसी पर ज़ुल्म होता देखें तो अपनी ताक़त के मुताबिक़ ज़ुल्म को रोकने की कोशिश करें
ज़ालिम को इस्लाम की पाकीज़ा तालीमात से आगाह करते हुए ज़ुल्म की वईदों पर मुश्तमिल अहादीस सुनाएँ ताकि ज़ालिमों के दिलों में रब तआला का ख़ौफ पैदा हो!
हयात ज़फर हाशमी ने कहा कि हक के लिए ना बोलना और जुल्म को हद से ज्यादा बर्दाश्त करना भी हमे जालिमों मे शुमार करता है। हक की सदा बुलंद करनी चाहिए इसकी फिक्र कभी नही करनी चाहिए कि हक की पैरवी करने वाले कितने हैं हाशमी ने कहा कि भले ही हक पर रहने के चलते ज़माना हमारे खिलाफ ही क्यों ना हो जाए मगर हमे हक से पीछे नही हटना नही।
इस मौके पर हयात ज़फर हाशमी, जावेद मोहम्मद खान, अच्छे मियाँ हशमती,नफीस अहमद, हाफ़िज़ तनवीर निजामी, मोहम्मद ईशान, मोहम्मद ईशान, शहनवाज अन्सारी, सय्यद ज़ीशान, शारिक मंत्री, फरहान कुरैशी, अकमल नफीस, अली हुसैन, परवेज़ आलम, शादाब रईस, मुशर्रफ अली आदि मौजूद रहे।

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