
कीर्तन से कुविचारों का होता है नाश – देवराहाशिवनाथ

आरा। त्रिकालदर्शी परमसिद्ध संत श्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज के सान्निध्य में शुक्रवार को जगदीशपुर के श्रीदेवराहाधाम सिंअरुआ में श्रद्धालु भक्तों के द्वारा संकीर्तन का आयोजन किया गया। संकीर्तन के पूर्व श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए संत श्री ने कहा कि सावन का महीना भगवान शिव का महीना है।श्रावण माह में ही भक्त विशेषकर शिवजी पर जलाभिषेक करते हैं।ऐसा हमारे शास्त्रों में उल्लेखित है कि श्रावण मास में भगवान शिव पर जलाभिषेक करने से भगवान शिव की समाधि टूटती है, जिससे वह भक्त पर कृपावृष्टि करते हैं। यहां तक कि जीव मृत्यु तुल्य कष्ट से भी मुक्ति प्राप्त कर लेता है और साथ ही साथ जीव को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। संतश्री ने आगे कहा कि रणहद राम राजहद रावण।बल हद बालि वर्षा हद सावन। जैसे युद्ध भूमि में राम का, राज में रावण का, बल में बालि का, और वर्षा ऋतु में सावन की कोई तुलना ही नहीं है। संतश्री ने आगे कहा कि भगवान सबके हैं और सभी भगवान के। भगवन्नाम संकीर्तन करने से जीव के कुविचारों का धीरे धीरे नाश हो जाता है और जीव का हृदय निर्मल हो जाता है। निर्मल हृदय का जीव भगवान का प्रिय होता है। वहीं इस दौरान हजारों श्रद्धालु भक्त मौजूद थे।









