उत्तर प्रदेशबस्ती

धरने से घसीटकर हिरासत, मारपीट का आरोप, व्यापक आन्दोलन की चेतावनी

।। बस्ती में पुलिस पर लगा दलित नेता के साथ जुल्म का आरोप ।।

🤙धरने से घसीटकर हिरासत, मारपीट का आरोप, व्यापक आन्दोलन की चेतावनी।

 बस्ती (उ.प्र.)।। न्याय की मांग को लेकर शांतिपूर्ण धरना आयोजित करने वाले दलित नेता पर पुलिस की कथित बर्बरता ने बस्ती शहर में सनसनी फैला दी है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के बैनर तले चार सूत्रीय मांगों पर शास्त्री चौक पर चल रहे धरने के दौरान भारत मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष आर.के. आरतियन सहित कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने कालर पकड़कर घसीटते हुए हिरासत में ले लिया। हिरासत के दौरान कथित मारपीट से आरतियन की तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।

संगठन ने इस घटना को ‘राम राज्य’ का काला अध्याय बताते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है, अन्यथा हाईकोर्ट जाने और उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है। घटना शास्त्री चौक, कोतवाली थाना क्षेत्र की है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के नेतृत्व में आयोजित इस धरने में भारत मुक्ति मोर्चा ने खुला समर्थन दिया था। धरना चार सूत्रीय मांगों पर केंद्रित था, जिसमें लालगंज क्षेत्र में पांच साल की एक बच्ची के साथ हुई कथित दरिंदगी का मामला प्रमुख था। इसके अलावा, अन्य सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों पर पीड़ितों की आवाज उठाने का उद्देश्य था।

संगठन के पदाधिकारी हृदय गौतम ने बताया कि धरना पूरी तरह शांतिपूर्ण था और मुख्यमंत्री के किसी कार्यक्रम के बाद प्रशासन से अनुमति भी ली गई थी। उन्होंने कहा, “हम पीड़ितों के न्याय के लिए सड़क पर उतरे थे, लेकिन पुलिस ने इसे दबाने का प्रयास किया।” भारत मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष आर.के. आरतियन ने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि धरने की अनुमति के बावजूद पुलिस ने जबरन कार्रवाई की। उन्होंने कहा, “प्रशासनिक बातचीत की रिकॉर्डिंग हमारे पास मौजूद है, जो साबित करती है कि सब कुछ वैध था। फिर भी, हमें घसीटकर हिरासत में लिया गया।” आरतियन ने ‘राम राज्य’ पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “अगर यही राम राज्य है, तो शायद त्रेता युग में भी पांच साल की बच्चियों के साथ ऐसी ही दरिंदगी होती रही होगी। यह लोकतंत्र का अपमान है।” कोतवाली पुलिस ने धरने के दौरान मौके से पांच लोगों को हिरासत में ले लिया।

आरोप है कि हिरासत के दौरान चौकी इंचार्ज सिविल लाइन अजय सिंह ने सीओ सिटी सतेंद्र भूषण के इशारे पर आर.के. आरतियन के साथ मारपीट की। आरतियन ने दावा किया कि कोतवाली ले जाने के बाद उन्हें बुरी तरह पीटा गया, जिससे उनके सीने और कान में तेज दर्द होने लगा। उनकी बिगड़ती तबीयत को देखते हुए उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। हिरासत में लिए गए लोगों को धारा 151 (अवैध जमावड़े) के तहत चालान कर एसडीएम के समक्ष पेश किया गया। इस दौरान चार लोगों को जमानत मिल गई, लेकिन आर.के. आरतियन को जेल भेज दिया गया। संगठन के कार्यकर्ताओं ने इसे सुनियोजित साजिश करार दिया है। इस घटना ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। हिरासत के समय का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें आर.के. आरतियन को पूरी तरह सामान्य दिखाया गया है, जबकि वे दावा कर रहे हैं कि मारपीट बाद में कोतवाली में हुई। दूसरा वीडियो अस्पताल भर्ती होने का है, जो कथित मारपीट के बाद की स्थिति को दर्शाता है। इन वीडियो को हजारों लोग शेयर कर रहे हैं, और बहस छिड़ गई है कि क्या यह पुलिस की अतिरिक्त सख्ती थी या संगठन का अतिरंजन।

भारत मुक्ति मोर्चा के पदाधिकारी हृदय गौतम ने साफ शब्दों में कहा, “अगर आर.के. आरतियन के साथ न्याय नहीं हुआ, तो हम मामला हाईकोर्ट तक ले जाएंगे। साथ ही, उग्र प्रदर्शन की तैयारी है।” संगठन ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की मांग की है। बस्ती में दलित और पिछड़े वर्ग के लोग इस घटना से आक्रोशित हैं, और स्थानीय स्तर पर समर्थन जुट रहा है। प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन घटना ने सामाजिक न्याय के मुद्दों पर फिर से बहस छेड़ दी है। बस्ती पुलिस ने कहा कि कार्रवाई कानून के दायरे में की गई थी, लेकिन मारपीट के आरोपों पर जांच की बात कही है। यह मामला राजनीतिक रंग ले सकता है, क्योंकि भारत मुक्ति मोर्चा जैसे संगठन सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय रहते हैं।

Back to top button
error: Content is protected !!