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संत कबीरनगर:: अजीम पर गोलीकांड: सच या साज़िश?

अजीत मिश्रा (खोजी)

🚨 अजीम पर गोलीकांड: सच या साज़िश? 🚨

संतकबीरनगर। 9 सितम्बर की रात सोशल मीडिया पर फैली खबर ने पूरे जिले की पुलिस-प्रशासन की नींद उड़ा दी। टेमा रहमत निवासी निषाद पार्टी के कथित प्रदेश सचिव अब्दुल अजीम ने रात 11 बजकर 3 मिनट पर पोस्ट किया कि “मेरे ऊपर जानलेवा हमला हुआ, गोली चली है।”ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों ने जिला अस्पताल में जांच के दौरान कहा कि चोट गोली जैसी प्रतीत होती है, लेकिन हकीकत यह रही कि इलाज के बाद न तो कोई गोली मिली और न ही मेडिकल रिपोर्ट ने इसकी पुष्टि की।

😇अजीम का बयान और सवालों का झूला —

अब्दुल अजीम ने पुलिस को दिए लिखित बयान में कहा कि वे विगरा मीर से चाय पीकर लौट रहे थे। इसी दौरान नौवा गांव के पास पल्सर बाइक सवार दो अज्ञात हमलावरों ने गोली चलाई और फरार हो गए।

⭐लेकिन, सवाल ये है कि—

जब गोली लगने के बाद पीछा करने की बात कही गई, तो फिर अचानक कार बदलकर निषाद पार्टी के बैनर लगी SUV से अस्पताल क्यों पहुँचे?

👉क्या गाड़ी बदलने की जरूरत सिर्फ़ तस्वीर बदलने के लिए थी?

👉हमलावर की गिरफ्तारी की बजाय उन्होंने सुरक्षा गार्ड की मांग क्यों की?

⭐ सोशल मीडिया बनाम पुलिस जांच —

अजीम ने सोशल मीडिया पर कहा कि “गाड़ी से आवाज आई, टायर भी नहीं फटा और उसके बाद पैर में कुछ महसूस हुआ।”

⭐ मगर बयान में विरोधाभास साफ नज़र आता है—

पहले उन्होंने “पल्सर गाड़ी होना प्रतीत बताया”, बाद में उसे पक्का पल्सर बाइक बता दिया।

⭐ फॉरेंसिक की पड़ताल ने खोली परतें —

सूत्रों के मुताबिक फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल और गाड़ी की गहन जांच की— गाड़ी के दरवाजे पर मिला गोली का छेद और पैर पर घाव बिल्कुल मेल नहीं खा रहे। गाड़ी में गोली का छेद बड़ा है और अंदर जाते-जाते छोटा होता गया, जबकि घायल के पैर पर घाव में जली हुई के निशान हैं। अगर गोली बाहर से लगी तो गाड़ी के अंदर दरवाजे पर जले के निशान क्यों नहीं? टीम ने एक व्यक्ति को अजीम की सीट पर बैठाकर टेस्ट किया तो गोली का निशान कमर के ऊपर आता है, फिर पैर में गोली कैसे लगी? मिली हुई गोली पर फॉरेंसिक ने साफ कहा—यह असली फायर की गोली नहीं है, बल्कि फायर जैसी स्थिति बनाई गई है।

डॉक्टर का भी बयान दो टूक – सरकारी डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में गोली लगने की संभावना को नकारते हुए इसे सिर्फ़ चोट बताया है। सब जानकर भी खामोश पुलिस?

अब बड़ा सवाल यह है कि जब पुलिस के पास – डॉक्टर की रिपोर्ट है, फॉरेंसिक की पड़ताल है, और बयान में विरोधाभास है, तो फिर पुलिस खुलकर सच्चाई क्यों नहीं बता रही?

अब्दुल अजीम पर हुआ कथित गोलीकांड अब रहस्य और सवालों में उलझ गया है। सच्चाई क्या है, यह पुलिस की पारदर्शी कार्रवाई ही बताएगी। तब तक यह मामला जिले भर में चर्चाओं और सवालिया निशानों का केंद्र बना रहेगा।

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