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सहारा साम्राज्य का सूर्यास्त: 36,000 एकड़ की दौलत से मोहरबंद गेट तक, अब अडाणी ग्रुप की देहरी पर खड़ा सहारा शहर

वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज – विस्तृत विशेष रिपोर्ट

लखनऊ/ कभी नवाबों के शहर लखनऊ में जब भी किसी वीआईपी को ठहराने की बात होती थी, तो नजरें सहारा परिवार के उस राजसी एस्टेट की ओर जाती थीं, जो 180 एकड़ में फैला साम्राज्य था। ऊँचे मेहराबदार गेट, संगमरमर के खंभे, कृत्रिम झीलें, थिएटर और व्हाइट हाउस जैसी दिखने वाली इमारत—यह सब उस दौर का हिस्सा थे जब सुब्रत रॉय सहारा को “सपनों के सौदागर” के रूप में जाना जाता था।

आज उसी गेट पर एक कमीज़ हवा में झूलती हुई सूख रही है। दरवाजे पर मोम की सील है और परिसर सुनसान पड़ा है। लखनऊ नगर निगम ने इस विशाल एस्टेट पर अपना दावा ठोक दिया है—वही जगह जो कभी सहारा के साम्राज्य की धड़कन हुआ करती थी।

साम्राज्य का पतन और अडाणी ग्रुप की कदमताल

80 से ज्यादा सहारा संपत्तियों का भविष्य
सहारा की 80 से अधिक संपत्तियां अब अडाणी ग्रुप को सौंपे जाने की प्रक्रिया में हैं। इनमें दो सबसे बड़ी संपत्तियां—मुंबई का सहारा स्टार होटल और पुणे के पास 10,000 एकड़ में फैली एंबी वैली सिटी—शामिल हैं।

अगर यह डील पूरी होती है, तो यह आज़ाद भारत के इतिहास की सबसे बड़ी डिस्ट्रेस-सेल होगी। इस डील से मिलने वाला पैसा लाखों सहारा निवेशकों को लौटाने में इस्तेमाल होगा।

सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई फिलहाल टल चुकी है। कोर्ट को दी गई 65 पन्नों की रिपोर्ट में बताया गया है कि 60 से ज्यादा संपत्तियां पहले ही आयकर विभाग और अन्य एजेंसियों द्वारा अटैच की जा चुकी हैं।

लखनऊ से मुंबई तक, बिखराव का सफर

■ खाली पड़े ऑफिस, जर्जर इमारतें, और बिखरी चमक

मुंबई के गोरेगांव में सहारा इंडिया प्वाइंट आज सिर्फ एक खाली मैदान बनकर रह गया है।
कभी जुड़े टीवी वैन और कंपनी के वाहन अब पार्किंग लॉट में जंग खाते पड़े हैं।

सहारा स्टार होटल का चमकदार ग्लास फ्रंट अब समय की मार झेलता दिखता है—यही वह जगह थी जहां सहारा की बड़ी मीटिंग्स होती थीं और जहां सुब्रत रॉय अपने पेंटहाउस से सीधे निजी लिफ्ट में उतरते थे।

लखनऊ: सहारा शहर की खामोश दीवारें और असंतुष्ट कर्मचारी

सहारा शहर, जिसे कभी ‘अवध का तख्त’ कहा जाता था, आज कर्मचारियों के विरोध और कानूनी उलझनों के केंद्र में है।
एलएमसी ने संपत्ति को इसलिए सील किया क्योंकि—

1995 में दी गई लीज़ आवासीय कॉलोनी बनाने के लिए थी

लेकिन इसे निजी महलनुमा एस्टेट में बदल दिया गया

1997 में लीज़ समाप्त कर दी गई

सहारा ने कोर्ट में स्टे लिया

मामला अब हाई कोर्ट में है

कर्मचारियों का दर्द:
“चार महीने से वेतन नहीं मिला… मालिक हमारी सुनवाई करें, लेकिन वे तो चुपचाप निकल रहे हैं।”

बढ़ती भीड़ देखकर सुब्रत रॉय की पत्नी, स्वप्ना रॉय को पीछे के गेट से निकालना पड़ा।

इसी बीच, ईडी ने स्वप्ना रॉय, उनके बेटे और अधिकारियों पर 1.74 लाख करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग केस में चार्जशीट दायर की है।

कभी भारत का सबसे बड़ा चिटफंड साम्राज्य

सहारा के पास—

4,799 कंपनियां

6 लाख एजेंट

10 करोड़ डिपॉजिटर्स

1.52 लाख करोड़ की संपत्ति

थीं।

लेकिन OFCD घोटाले, SEBI के आदेश और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों ने पूरा साम्राज्य हिला दिया।
सहारा ने SEBI को 127 ट्रकों में कागज़ भेजकर दावा किया कि उसने 20,000 करोड़ लौटा दिए, जिन्हें SEBI ने “अधूरे” बताया।

2023 में सरकार ने CRCS-सहारा पोर्टल लॉन्च किया, जिसके जरिए अभी तक लगभग 13 लाख लोगों को धनवापसी मिली है।

एंबी वैली: एक सपना, जो धूप में फीका पड़ गया

एंबी वैली सिटी—भारत की पहली प्लान्ड हिल सिटी—आज दो तस्वीरें दिखाती है:

1. चमक का अवशेष

मेहराबदार प्रवेश द्वार

कृत्रिम झीलें

18-होल गोल्फ कोर्स

निजी एयरस्ट्रिप

लग्जरी विला

2. बदहाली का सच

खाली स्विमिंग पूल

टूटी सड़कें

अधूरे निर्माण

लताओं से ढँके फव्वारे

घास में दबा इंफ्रास्ट्रक्चर

फिर भी पर्यटक आते हैं, लेकिन पहली नजर में उन्हें सहारा साम्राज्य के ढहने की कहानी समझ आ जाती है।

क्या बचा है, और आगे क्या?

सहारा के पास अब—

सहारा स्टार

एंबी वैली के कुछ हिस्से

राष्ट्रीय सहारा अखबार

कुछ टाउनशिप

जैसी थोड़ी बहुत संपत्तियां ही बची हैं।

कर्मचारियों की उम्मीद है कि अगर अडाणी ग्रुप ने टेकओवर किया, तो उन्हें स्थिरता मिलेगी।

निष्कर्ष

सहारा कहानी उस व्यक्ति की है जिसने गोरखपुर की गलियों से शुरुआत कर—

भारत की सबसे महंगी शादियां करवाईं

देश की क्रिकेट टीम का मुख्य प्रायोजक बना

न्यूयॉर्क–लंदन में बड़े होटल खरीदे

और करोड़ों लोगों के सपने अपने पंखों से जोड़े

लेकिन वही साम्राज्य आज कानूनी लड़ाई, सील किए गए गेट, बकाया सैलरी और टूटती प्रॉपर्टी का प्रतीक बन चुका है।

सुब्रत रॉय ने कहा था—
“हम सपने बेचते हैं।”
आज उन्हीं सपनों के खंडहर देशभर के शहरों में खामोशी से बिखरे पड़े हैं।
वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज रिपोर्ट

Jitendra Maurya

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