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।। सीएम योगी के निर्देश पर एफएसडीए ने ध्वस्त की 700 करोड़ की पैरेलल सप्लाई चेन।।

।। तीन महीने चले विशेष अभियान में 332 से अधिक थोक औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों की जांच की गई।।

अजीत मिश्रा (खोजी)

कोडीन कफ सिरप माफिया पर सबसे बड़ा वार

।। सीएम योगी के निर्देश पर एफएसडीए ने ध्वस्त की 700 करोड़ की पैरेलल सप्लाई चेन।।

31 दिसंबर 25, उत्तर प्रदेश।

लखनऊ।। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख़्त निर्देश पर उत्तर प्रदेश में अवैध नशे के कारोबार के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई सामने आई है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने कोडीनयुक्त कफ सिरप की समानांतर (पैरेलल) आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ते हुए 52 जिलों में व्यापक और सघन अभियान चलाया है।

तीन महीने चले विशेष अभियान में 332 से अधिक थोक औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों की जांच की गई, जिसमें 36 जिलों की 161 फर्मों/संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। जांच के दायरे में 700 करोड़ रुपये से अधिक की संदिग्ध आपूर्ति उजागर हुई है, जिसका कोई वैध चिकित्सीय उपयोग प्रमाणित नहीं हो सका।

अंतरराज्यीय नेक्सस का पर्दाफाश

क्रैकडाउन से पहले एफएसडीए ने गहन आंतरिक जांच कर झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित कई राज्यों में अवैध नेटवर्क के ठोस साक्ष्य जुटाए। इन राज्यों से जुड़े यूपी के सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेलरों के कारोबारी रिश्तों का खुलासा होने के बाद प्रदेश में एक साथ कार्रवाई शुरू की गई।

एफएसडीए की रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश पुलिस और एसटीएफ ने नशे के सौदागरों पर शिकंजा कसते हुए एनडीपीएस एक्ट और बीएनएस की सख़्त धाराओं में मुकदमे दर्ज किए। कार्रवाई को न्यायिक समर्थन भी मिला—इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 22 मामलों में आरोपियों की रिट और गिरफ्तारी पर रोक की याचिकाएं खारिज कर दीं।

52 जिलों में जांच, 161 फर्मों पर केस

पिछले तीन महीनों में एफएसडीए ने प्रदेश के 52 जिलों में 332 से अधिक थोक औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों की अभिलेखीय और भौतिक जांच की। गंभीर अनियमितताओं के आधार पर 36 जिलों की 161 फर्मों/संचालकों के विरुद्ध बीएनएस और एनडीपीएस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई।

इसके साथ ही जिलाधिकारियों को गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई के लिए पत्र भेजे गए हैं, ताकि अवैध नशे से अर्जित संपत्तियों की कुर्की की जा सके।

निर्माण से रिटेल तक पूरी चेन डिकोड

एफएसडीए आयुक्त के निर्देश पर जनपद स्तर पर विशेष टीमें गठित की गईं, जबकि मुख्यालय स्तर पर एक अलग मॉनिटरिंग टीम बनाई गई। जांच के दौरान—

केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, ग्वालियर से कोडीन फॉस्फेट के कोटा व उठान का डेटा।

हिमाचल, हरियाणा और उत्तराखंड स्थित दवा निर्माताओं की पड़ताल।

दिल्ली, रांची और लखनऊ में क्रय–विक्रय अभिलेखों की जांच।

में यह सामने आया कि कई होलसेलरों के पास स्टॉक प्राप्ति का कोई प्रमाण नहीं था। रिटेल मेडिकल स्टोर के नाम पर बिक्री दिखाई गई, लेकिन वास्तविक चिकित्सीय खपत का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं था। दिल्ली–रांची के सुपर स्टॉकिस्ट और उनसे जुड़े होलसेलरों के माध्यम से एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं की एक पैरेलल सप्लाई चेन खड़ी की गई थी।

2024–25 में जरूरत से कई गुना अधिक आपूर्ति

जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि वर्ष 2024–25 में कोडीनयुक्त कफ सिरप की आपूर्ति वास्तविक चिकित्सीय आवश्यकता से कई गुना अधिक रही—

Abbott Healthcare (फेन्सिडिल): 2.23 करोड़ से अधिक बोतलें

Laborate Pharmaceuticals (एस्कॉफ): 73 लाख से अधिक बोतलें

अन्य कंपनियां: लगभग 25 लाख बोतलें

इनमें से अधिकांश आपूर्ति का चिकित्सीय उपयोग प्रमाणित नहीं हो सका।

79 मुकदमे, 85 गिरफ्तारियां; SIT जांच जारी

एफएसडीए की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस और एसटीएफ ने अब तक 79 अभियोग दर्ज किए हैं, जबकि 85 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी है। मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच टीम (SIT) की जांच जारी है और अगले माह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपे जाने की संभावना है।

बॉक्स | लाइसेंसिंग प्रणाली होगी और सख़्त

मुख्यमंत्री के निर्देश पर एफएसडीए मुख्यालय ने थोक औषधि विक्रय लाइसेंसिंग व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी व कठोर बनाने का प्रस्ताव भेजा है—

औषधि प्रतिष्ठानों की जियो-टैगिंग।

भंडारण क्षमता का सत्यापन और फोटोग्राफी।

टेक्निकल पर्सन के अनुभव प्रमाणपत्र का ड्रग इंस्पेक्टर स्तर पर सत्यापन।

कोडीन कफ सिरप के निर्माण, वितरण और निगरानी हेतु केंद्र सरकार से स्पष्ट दिशानिर्देश/अधिसूचना का प्रस्ताव।

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