
वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज रिपोर्ट गाजीपुर
गाजीपुर समाजवादी पार्टी की जिला कार्यकारिणी की बैठक सपा कार्यालय डॉ. लोहिया मुलायम सिंह भवन, बंसी बाजार में संपन्न हुई। इस बैठक में वर्षों बाद पूर्व मंत्री शदाब फातिमा की मौजूदगी ने सियासी गलियारों में चर्चा को गर्मा दिया है।
शदाब फातिमा की मौजूदगी को लेकर राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि पार्टी में शिवपाल यादव की बढ़ती राजनीतिक पकड़ और अफजाल अंसारी की सक्रियता के बीच गाजीपुर में उनकी भूमिका और राजनीतिक हैसियत को लेकर नई समीकरण बन सकते हैं। खास बात यह है कि जहूराबाद विधानसभा, जहां से शदाब फातिमा विधायक रहते हुए मंत्री बनी थीं, वहीं अब अफजाल अंसारी अपने समर्थकों की दमदारी से दावेदारी पेश कर रहे हैं।
बैठक की अध्यक्षता सपा जिलाध्यक्ष गोपाल यादव ने की। उन्होंने कहा कि जल्द ही बूथ स्तर पर BLA (Booth Level Agent) की नियुक्ति पूरी की जाएगी। साथ ही महंगाई, भ्रष्टाचार और पुलिस उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर प्रदेश सरकार को घेरने की रणनीति तय की गई। किसानों को खाद और बिजली संकट से राहत दिलाने के लिए जिला मुख्यालय पर बड़ा प्रदर्शन करने का ऐलान भी किया गया।
पूर्व मंत्री शदाब फातिमा ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे जनता के मुद्दों को लेकर गांव-गांव जाकर PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) कार्यक्रम आयोजित करें और संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाएं।
बैठक में पूर्व विधायक खुर्शीद अहमद, त्रिवेणी राम, पूर्व जिला अध्यक्ष सुदर्शन यादव, रामधारी यादव, जिला उपाध्यक्ष अशोक बिंद, तथा अन्य नेताओं में रामजन्म चौहान, रामजी राय, रामबचन यादव, आमिर अली, रविंद्र प्रताप यादव, सुनील, काशीन अहमद, राजेंद्र गोवर्धन, अवधेश राजू, जमुना, राजेश, भारत यादव, बिंदु वाला बिंद, इतिहास यादव समेत बड़ी संख्या में पदाधिकारी मौजूद रहे।
संचालन जिला महासचिव कन्हैयालाल विश्वकर्मा ने किया।
👉 इस बैठक ने साफ कर दिया है कि गाजीपुर की सियासत में सपा के भीतर नई खींचतान और गठजोड़ की आहट तेज हो चुकी है। गाजीपुर। समाजवादी पार्टी की जिला कार्यकारिणी की बैठक ने गाजीपुर की राजनीति में हलचल मचा दी है। वजह थी—वर्षों बाद पूर्व मंत्री शदाब फातिमा की मौजूदगी। उनका आना महज़ औपचारिकता नहीं, बल्कि यह संदेश है कि आने वाले चुनावों में सपा के भीतर नई खींचतान और समीकरण बनने वाले हैं।
सपा में बदलता संतुलन
पार्टी में बीते समय से शिवपाल यादव का रसूख बढ़ा है। यह किसी से छिपा नहीं कि संगठन में उनकी सक्रियता ने कई पुराने समीकरणों को हिलाया है। शदाब फातिमा की वापसी को शिवपाल-फैक्टर से जोड़कर देखा जा रहा है। सवाल यह है कि क्या यह कदम उन्हें सपा की मुख्यधारा में वापस लाने का इशारा है?
जहूराबाद—सियासी जंग का मैदान
गाजीपुर की राजनीति का सबसे बड़ा दांव जहूराबाद विधानसभा सीट है।
यहीं से शदाब फातिमा विधायक रहीं और मंत्री बनीं।
दूसरी ओर, मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी अपने गुट को इस क्षेत्र से खड़ा करने में जुटे हैं।
यानी टिकट को लेकर दोनों नेताओं के बीच संघर्ष तय है। ऐसे में पार्टी को यह देखना होगा कि किसके साथ खड़े होकर उसे 2027 का चुनावी फायदा मिल सकता है।
मुद्दों की आड़ में ताक़त दिखाना
बैठक में महंगाई, भ्रष्टाचार और किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन की रणनीति बनी। बूथ स्तर पर BLA बनाने और PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) कार्यक्रम को गांव-गांव तक ले जाने पर ज़ोर दिया गया। दिलचस्प यह रहा कि इन मुद्दों को उठाते हुए शदाब फातिमा ने खुद को एक सक्रिय और जमीनी नेता के रूप में पेश किया। यह संदेश साफ है कि वह गाजीपुर की राजनीति में अपना खोया हुआ आधार फिर से हासिल करना चाहती हैं।
आगे की राह
सपा का अंदरूनी संघर्ष—जहूराबाद टिकट की दावेदारी पर टकराव और गहराएगा।
शिवपाल का समर्थन—अगर फातिमा को मिला, तो उनकी स्थिति मजबूत हो सकती है।
2027 चुनावी रणनीति—गाजीपुर में सपा का चेहरा कौन होगा, इसका जवाब अब आसान नहीं रहा।
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🖊 निष्कर्ष
शदाब फातिमा की वापसी गाजीपुर की सियासत में एक बड़ा संदेश है—सपा के भीतर अब सबकुछ स्थिर नहीं रहा। अफजाल अंसारी और शदाब फातिमा के बीच खींचतान जितनी तेज़ होगी, उतना ही जिले की राजनीति का पारा बढ़ेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश यादव इस टकराव को कैसे साधते हैं और 2027 के चुनाव में किसे तरजीह देते हैं।