
ललितपुर। एलयूसीसी घोटाले से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश (गैंगस्टर एक्ट) की अदालत ने गैंगस्टर एक्ट की धारा 3/21 को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने विवेचक को आरोप पत्र दोबारा दाखिल करने का आदेश दिया है। साथ ही चार आरोपियों की न्यायिक रिमांड को निरस्त करते हुए उन्हें शर्तों के साथ रिहा करने का आदेश दिया गया है।
क्या है मामला?
एलयूसीसी प्रकरण में अभियोजन पक्ष ने गैंगस्टर एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था और चार आरोपियों पर 31 आपराधिक मामलों का हवाला देकर कार्रवाई की थी। लेकिन अदालत ने पाया कि इनमें कई मामले पुराने और समाप्त हो चुके हैं तथा अभियोजन गैंगस्टर एक्ट लागू करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दे सका।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि बिना ठोस प्रमाणों के गैंगस्टर एक्ट की धारा 3/21 लागू नहीं की जा सकती। कोर्ट ने आरोप पत्र को कानूनी दृष्टि से त्रुटिपूर्ण बताते हुए विवेचक को निर्देशित किया कि आरोप पत्र तथ्यों के आधार पर दोबारा दाखिल किया जाए।
हाईकोर्ट के वकील ने उठाए सवाल
अभियुक्तों की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि सरकार द्वारा वर्ष 2022 में बनाए गए अपराधी नियंत्रण आदेश के अनुसार, गैंगस्टर एक्ट तभी लागू हो सकता है जब गिरोहबद्ध गतिविधियों के प्रमाण हों। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए अभियुक्तों की रिमांड को निरस्त कर दिया।
निष्कर्ष:
कोर्ट के इस फैसले से पुलिस और अभियोजन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। अब विवेचक को आरोप पत्र नए सिरे से दाखिल करना होगा। इस फैसले के बाद आरोपियों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
वंदे भारत लाइव के लिए ललितपुर से रिपोर्ट








